स्वास्थ्य मंत्री के निरीक्षण के बाद भी नहीं सुधरे रामनगर अस्पताल के हालात, बंद पड़ी है अल्ट्रासाउंड मशीन
चिकित्सालय पर रामनगर के नगर व ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा कुमाऊं व गढ़वाल के नजदीकी क्षेत्रों के मरीज निर्भर रहते हैं। लेकिन स्वास्थ्य सेवा का आलम यह है कि चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड तक नहीं हो पा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, रामनगर : बीते दिनों स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत के निरीक्षण के बाद भी पीपीपी मोड पर रहे चल रहे सरकारी अस्पताल के हालात नहीं सुधरे। आठ दिन से चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड तक नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में सामान्य मरीज व गर्भवतियों को निजी हॉस्पिटल में जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
सरकारी चिकित्सालय पर रामनगर के नगर व ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा कुमाऊं व गढ़वाल के नजदीकी क्षेत्रों के मरीज निर्भर रहते हैं। लेकिन स्वास्थ्य सेवा का आलम यह है कि चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड तक नहीं हो पा रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं पर पड़ रहा है। चिकित्सालय की महिला चिकित्सक गर्भवतियों को अल्ट्रासाउंड की जांच कराकर लाने को कह रही है। लेकिन चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड नहीं होने की वजह से गर्भवती महिलाएं परेशान है। मजबूरन उन्हें बाहर निजी हॉस्पिटलों में पैसा व समय खर्च करना पड़ रहा है। जबकि गर्भवती महिलाओं के लिए सरकारी चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड जांच निशुल्क है। अल्ट्रासाउंड नहीं होने से निर्धन गर्भवती महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान है।
कई गर्भवती तो चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड शुरू होने के इंतजार में बैठी हैं। बताया जा रहा है कि रेडियोलोजिस्ट चिकित्सक के नौकरी छोड़कर जाने से यह समस्या आई है। चिकित्सालय की मुख्य चिकित्साधीक्षक चंद्रा पंत ने बताया कि उनकी तैनाती लेने से पहले से अल्ट्रासाउंड बंद है। हॉस्पिटल प्रबंधन से इस पर जवाब मांगा है। प्रबंधन के लोग चिकित्सक की व्यवस्था करने की बात कह रहे हैं।