रामनगर के गर‍िवेश्‍वर मंद‍िर में 103 साल से गूंज रहा है ॐ नमः शिवाय का जाप

गरिवेश्वर सत्यदेव मन्दिर में विराजमान देवाेंं के देव महादेव शिव 103 सालो से विराजमान होकर अपने भक्तों की मुराद पूरी कर रहे हैैं। यहाँ सौ साल से भी ज्यादा समय से ॐ नमः शिवाय का जाप होता है। लोग भोले बाबा को गरिवेश्वर बाबा के नाम से भी पुकारते है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 01:10 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 07:12 PM (IST)
रामनगर के गर‍िवेश्‍वर मंद‍िर में 103 साल से गूंज रहा है ॐ नमः शिवाय का जाप
पं. राममूर्ति अवस्थी कहते है कि बाबा ने अपने भक्तों को कभी निराश नही किया

जागरण संवाददाता, रामनगर। बात श्रावण मास की हो तो भोले बाबा के जयकारे मन्दिरो में गुंजायमान होना स्वाभाविक ही है। नगर के बीचों बीच बने गरिवेश्वर सत्यदेव मन्दिर में विराजमान देवाेंं के देव महादेव शिव 103 सालो से विराजमान होकर अपने भक्तों की मुराद पूरी कर रहे हैैं। यहाँ सौ साल से भी ज्यादा समय से ॐ नमः शिवाय का जाप होता है। स्थानीय लोग भोले बाबा को गरिवेश्वर बाबा के नाम से भी पुकारते है। मान्यता है कि बाबा के दरबार से आज तक कोई खाली नही लौटा।

103 साल पुराना है गरिवेश्वर मन्दिर

गरिवेश्वर जी सत्यदेव मन्दिर की स्थापना संवत 1975(1918) में काशीपर निवासी लाला सुखदेव प्रसाद खत्री ने इस मंदिर की स्थापना करवाई थी। उस दौर में रामनगर में केवल दो या तीन ही मन्दिर हुआ करते थे। इस प्राचीन मंदिर में हर शिवरात्रि को सबसे पहले कांवरिये यहाँ जलाभिषेक किया करते है।

पीपल के वृक्ष के नीचे प्राचीन मूर्तिया

गरिवेश्वर मन्दिर में स्थित पीपल के वृक्ष के नीचे कई प्रकार की मूर्तियां है जिन्हें देखकर लगता है कि मन्दिर निर्माण के दौरान यह मूर्तिया खुदाई के दौरान निकली होंगी। गरिवेश्वर मन्दिर के सो साल पूरे होने पर भक्तों ने बाबा भोलेनाथ की भब्य शोभा यात्रा निकाली थी। मन्दिर की देख रेख का जिम्मा सेवादल पर गरिवेश्वर मन्दिर सेवा दल द्वारा मन्दिर की देखरेख की जाती है जिसमे लाला लाला सुखदेव प्रसाद खत्री के वंसज के साथ ही अन्य स्थानीय भक्त शामिल है। अब मन्दिर में ओर देवता भी विराजमान समय के बदलते परिवेश में मन्दिर परिसर में श्री राम दरबार, सिद्धिदात्री माँ दुर्गा एवम राधा कृष्ण भी विराजमान है। पं. राममूर्ति अवस्थी कहते है कि बाबा ने अपने भक्तों को कभी निराश नही किया जो भी उनके दरबार में नतमस्तक हुआ उसकी मुराद हमेशा पूरी हुई।

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