मई तक 1.33 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान कराने की चुनौती, पशुपालन निदेशक ने तेज गति से काम करने के दिए निर्देश
राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान के तहत 31 मई तक कुमाऊं में तीन लाख पशुओं आच्छादित किया जाना है। उत्तराखंड पशुपालन विभाग के निदेशक डा. केके जोशी ने कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों के पशु चिकित्सकों को लक्ष्य प्राप्ति के लिए तेज गति से काम करने के निर्देश दिए हैं।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : पशु नस्ल सुधार व दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पशुपालन विभाग कृत्रिम गर्भाधान पर जोर दे रहा है। राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान के तहत 31 मई तक कुमाऊं में तीन लाख पशुओं आच्छादित किया जाना है। उत्तराखंड पशुपालन विभाग के निदेशक डा. केके जोशी ने कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों के पशु चिकित्सकों को लक्ष्य प्राप्ति के लिए तेज गति से काम करने के निर्देश दिए हैं।
शनिवार को रामपुर रोड स्थित होटल में आयोजित पशु चिकित्सकों के रिफ्रेशर प्रशिक्षण में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे डा. जोशी ने कहा कि एक अगस्त से 15 फरवरी तक 1.67 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान अच्छी प्रगति है। 31 मई तक तीन लाख का लक्ष्य प्राप्त करने को सभी चुनौती के रूप में लें। जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि पंतनगर के प्राध्यापक डा. एसपी मौर्य ने कहा कि कुछ व्यवहारिक कठिनाइयों के निदान से कृत्रिम गर्भाधान के सफलता के अनुपात को सुधारा जा सकता है। डा. अजय असवाल व डा. पुनीत भट्ट ने कृत्रिम गर्भाधान के मानक विधि, लिंग वर्गीकृत वीर्य की सफलता के बारे में बताया।
उत्तराखंड पशुधन विकास बोर्ड (यूएलडीबी) के डा. गौतम भल्ला, डा. कविता धीमान ने तरल नत्रजन व सीमन की मांग आपूर्ति की जानकारी दी। कार्यक्रम में अपर निदेशक पशुपालन डा. बीसी कर्नाटक, डा. डीसी जोशी, डा. एचसी जोशी, डा. अनुज अग्रवाल व कुमाऊंभर से 120 प्रतिभागी शामिल रहे।
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