चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ लोगों को जागरूक करने हिमालयी राज्यों के भ्रमण पर निकले तेंजिन
चीन की विस्तारवादी नीति भारत के लिए हमेशा से खतरनाक रही है। यह तब और खतरनाक हो जाती है जब सीमांत में रहने वाले भोले-भाले लोग चीन की कुनीति से अन्जान रहते हैं। इसलिए हम सभी के लिए जरूरी है जानकारी व जागरूकता। यह कहना है तेंजिन त्सुंदू का।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : चीन की विस्तारवादी नीति भारत के लिए हमेशा से खतरनाक रही है। यह तब और खतरनाक हो जाती है, जब सीमांत में रहने वाले भोले-भाले लोग चीन की कुनीति से अन्जान रहते हैं। इसलिए हम सभी के लिए जरूरी है जानकारी व जागरूकता। यह कहना है तेंजिन त्सुंदू का। वह तिब्बती शरणार्थी होने के साथ एक्टिविस्ट व लेखक हैं। इस समय भारत के पांच हिमालयी राज्यों के भ्रमण पर हैं।
रविवार को प्रसिद्ध लेखक, कवि व ब्लॉगर अशोक पांडे के जज फार्म स्थित आवास पर पत्रकारों से मुखातिब तेंजिन ने कहा, सीमांत क्षेत्रों के लोग, जिसमें तिब्बत के लोग भी शामिल हैं, ये सभी चीन की सड़क, तकनीक आदि सुविधाओं की प्रशंसा करने लगते हैं। जबकि यह ठीक नहीं है। हर व्यक्ति को चीन नीति व उसके भारत पर असर से अवगत होना जरूरी है। यही जागरूकता व जानकारी देने के लिए उनकी यात्रा 17 अगस्त से लद्दाख से शुरू हुई थी। लाहौल स्पीति, किन्नौर, शिमला, सोलन, देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार से होते हुए अब हल्द्वानी पहुंची है। यहां से वह नैनीताल, अल्मोड़ा पिथौरागढ़ में चीन सीमा के बाद उत्तर प्रदेश-बिहार होते हुए अरुणाचल प्रदेश तक जाएंगे।
दलाई लामा पर बनी फिल्म प्रभावी
तेंजिन अपने फिल्म मेकर साथी तेंजिंग लेकफेल के साथ दलाई लामा के जीवन पर बनी फिल्म एस्केप ऑफ द दलाई लामा फ्रॉम तिब्बत को हर जगह दिखाते हैं। इससे ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोग प्रभावित होते हैं। तेंजिन बताते हैं, यह फिल्म गुरु लामा के जीवन संघर्ष, चीन की नीति समेत तमाम पहलुओं को उजागर करती है। उस जगह भी फिल्म दिखाई गई, जहां पहले लोगों ने कभी कोई फिल्म नहीं देखी थी। इसके लिए वह प्रोजेक्टर व साउंड सिस्टम साथ लेकर चलते हैं।
अपने देश में आजाद घूमने की इच्छा
तेंजिन कहते हैं, हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है। हम अपने देश तिब्बत में आजाद उडऩा चाहते हैं। यही हमारा सपना है। इसी सपने के लिए यह यात्रा है। जहां हम तमाम नए अनुभवों के साथ जीने लगे हैं। उम्मीद है हमें कि एक दिन हमारा देश आजाद होगा।