नाबालिग को शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने वाले को दस साल की सजा

दो वर्ष पूर्व मुनस्यारी के एक गांव की कक्षा दस में पढऩे वाली नाबालिग को शादी का झांसा देकर बहला फुसला कर रामनगर और दिल्ली ले जाकर दुष्कर्म करने वाले को न्यायालय ने दस साल की सजा से दंडित किया है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 05:21 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 05:21 PM (IST)
नाबालिग को शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने वाले को दस साल की सजा
आरोप‍ित को दोषी करार करते हुए दस साल की सजा और पांच हजार के अर्थदंड से दंडित किया है।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : लगभग दो वर्ष पूर्व मुनस्यारी के एक गांव की कक्षा दस में पढऩे वाली नाबालिग को शादी का झांसा देकर बहला फुसला कर रामनगर और दिल्ली ले जाकर दुष्कर्म करने वाले को न्यायालय ने दस साल की सजा से दंडित किया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार चार जुलाई 2019 को अशोक कुमार गौड़ पुत्र लाल गौड़ निवासी सिंगलपुरा थाना जौरा जिला मुरैना मध्यप्रदेश कक्षा दस में पढऩे वाली नाबालिग को अपनी कार में बैठा कर जबरन अपने साथ ले गया। वह सीधे रामनगर नैनीताल पहुंच गया,  जहां पर एक होटल में रहा और नाबालिग के साथ जबरदस्ती करने लगा। इस मामले की रिपेार्ट मुनस्यारी थाने में दर्ज हुई। पुलिस ने अशोक कुमार गौड़ के खिलाफ भादवि की धाराओं और पॉस्को के तहत मुकदमा दर्ज कर नाबालिग की खोजबीन प्रारंभ कर दी।

6 जुलाई 2019 को अशोक कूमार नाबालिग को दिल्ली ले गया और किराए के कमरे में रखा। इस दौरान नाबालिग को शादी का झांसा देकर उसका शोषण करता रहा। इस दौरान नाबालिग को नशे की दवा और खाने में नशीली दवा मिलाता था। इस बीच नाबालिग के कहने पर फोन से उसकी मां से बात कराता था और बात करने के बाद सिम तोड़ देता था। उसे कमरे में बंद रखता था। नाबालिग के कहने पर 3 अगस्त 2019 को विकास पुरी ले गया।

विकास पुरी के लिए जब बस का इंतजार कर रहे थे तो पुलिस सुराग लगाते नाबालिग के पिता और चाचा के साथ पहुंच गई। नाबालिग को पहचान लिया गया और दोनों को पुलिस अपने साथ पिथौरागढ़ लाई। इस मामले की सुनवाई सत्र न्यायालय में चली। अभियोजन पक्ष की तरफ से पैरवी करते हुए शासकीय अधिवक्ता प्रमोद पंत और विशेष लोक अभियोजक प्रेम सिंह भंडारी ने आठ गवाह पेश किए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद सत्र न्यायाधीश डॉ. जीके शर्मा ने अशोक कुमार गौड़ को दोषी करार करते हुए दस साल की सजा और पांच हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड नहीं देने पर छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

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