Kumaon Weather News Update : नैनीताल में छह तो मुक्तेश्वर में तीन डिग्री के करीब पहुंचा पारा

Kumaon Weather News Update उत्तर-पश्चिम हवा ने कुमाऊं की वादियों में ठंडक घोल दी है। झीलों की नगरी नैनीताल का न्यूनतम तापमान छह डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया है। नैनीताल से लगे मुक्तेश्वर में पारा 3.5 डिग्री पहुंच गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 16 Nov 2021 07:02 AM (IST) Updated:Tue, 16 Nov 2021 07:02 AM (IST)
Kumaon Weather News Update : नैनीताल में छह तो मुक्तेश्वर में तीन डिग्री के करीब पहुंचा पारा
Kumaon Weather News Update : नैनीताल में छह तो मुक्तेश्वर में तीन डिग्री के करीब पहुंचा पारा

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Kumaon Weather News Update :  उत्तर-पश्चिम हवा ने कुमाऊं की वादियों में ठंडक घोल दी है। झीलों की नगरी नैनीताल का न्यूनतम तापमान छह डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया है। नैनीताल से लगे मुक्तेश्वर में पारा 3.5 डिग्री पहुंच गया है। कम होते तापमान की वजह से हवा ठंडी हो चली है। सुबह-शाम घरों से निकलने में संकोच हो रहा है। रोजमर्रा के काम करने के लिए लोग धूप निकलने का इंतजार कर रहे हैं। मौसम विज्ञानियों ने 18 नवंबर को नैनीताल व ऊधमसिंह नगर जिलों के कुछ हिस्सों में आंशिक बादल छाने को छोड़कर शेष जगहों पर मौसम साफ रहने की संभावना जताई है।

पश्चिमी विक्षोभ नहीं आने से सूखा बीत सकता है नवंबर

पश्चिमी विक्षोभ व दक्षिण-पश्चिम मध्य प्रदेश में कम दबाव के दोहरे मौसमी सिस्टम ने 18 व 19 अक्टूबर में उत्तराखंड में आपदा ला दी थी। अब मौसम रूठ जैसा गया है। पश्चिमी विक्षोभ नहीं आने ने उत्तराखंड में मौसम शुष्क हो चला है। आद्रता लगातार कम हो रही है। मौसम पूर्वानुमान जारी करने वाली एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक अगले दो सप्ताह भी बारिश के खास आसार नहीं हैं। ऐसे में पूरा नवंबर बिना बारिश बीत सकता है।

शीतकालीन बारिश में पश्चिमी विक्षोभ अहम

उत्तराखंड समेत समूचे उत्तर भारत में शीतकालीन बारिश व हिमपात में पश्चिमी विक्षोभ की अहम भूमिका होती है। आमतौर पर अक्टूबर व नवंबर में एक-एक पश्चिमी विक्षोभ आता है। जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के वरिष्ठ मौसमी विज्ञानी डा. आरके सिंह ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ की समयावधि तीन से पांच दिन रहती है। कमजोर व मजबूत स्थिति के आधार विक्षोभ अपना असर डालता है। अक्टूबर में आफत बरसाने वाली बारिश के बाद पश्चिमी विक्षोभ नहीं आया है। उत्तराखंड में इसे गेहूं व रबी की दूसरी फसलों के लिए पश्चिमी विक्षोभ मददगार रहता है।

दिसंबर से फरवरी तक अधिक सक्रिय

मौसम विज्ञानी डा. आरके सिंह ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ दिसंबर से फरवरी के बीच अधिक सक्रिय रहता है। इस दौरान प्रतिमाह चार से पांच डब्ल्यूडी आते हैं। मार्च में तीन से चार पश्चिमी विक्षोभ आते हैं। मई में 15 जून तक बंगाल की खाड़ी से पूर्वी विक्षोभ आता है। 20 जून से 30 सितंबर तक दक्षिण पश्चिम मानसून बारिश लेकर आता है।

यह है पश्चिमी विक्षोभ

पश्चिमी विक्षोभ भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाकों में सर्दियों के मौसम में आने वाले ऐसे तूफान को कहते हैं जो वायुमंडल की ऊंची तहों में भूमध्य सागर, अन्ध या अटलांटिक महासागर व कुछ हद तक कैस्पियन सागर से नमी लाकर उसे बारिश व बर्फ के रूप में उत्तर भारत, पाकिस्तान व नेपाल पर गिरा देता है।

प्रमुख स्थलों का न्यूनतम तापमान

नैनीताल         6.3 डिग्री

मुक्तेश्वर         3.5 डिग्री

अल्मोड़ा         8.1 डिग्री

पिथौरागढ़       9.7 डिग्री

पंतनगर          13.4 डिग्री

हल्द्वानी          17.2 डिग्री

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