नए कालेजों में प्रभारी प्राचार्य घोषित होने के बाद उम्‍मीद लगाए शिक्षकों को झटका

प्रदेश के नौ नए कालेजों में प्रभारी प्राचार्य बनने का सपना देख रहे शिक्षकों को झटका पहुंचा है। शिक्षकों की उम्मीद के विपरीत सभी नए कालेजों में प्रभारी प्राचार्य व नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। ऐसे में शिक्षकों को अब डीपीसी के परिणाम का इंतजार है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 08:33 AM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 08:33 AM (IST)
नए कालेजों में प्रभारी प्राचार्य घोषित होने के बाद उम्‍मीद लगाए शिक्षकों को झटका
नए कालेजों में प्रभारी प्राचार्य घोषित होने के बाद उम्‍मीद लगाए शिक्षकों को झटका

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : प्रदेश के नौ नए कालेजों में प्रभारी प्राचार्य बनने का सपना देख रहे शिक्षकों को झटका पहुंचा है। शिक्षकों की उम्मीद के विपरीत सभी नए कालेजों में प्रभारी प्राचार्य व नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। ऐसे में शिक्षकों को अब डीपीसी के परिणाम का इंतजार है। एक सप्‍ताह के अंदर डीपीसी के परिणाम आने के भी आसार हैं।

मुख्यमंत्री घोषणा में शामिल नौ नए कालेजों का शासनादेश जारी हो चुका है। एक सितंबर से नया शैक्षिक सत्र शुरू करने की तैयारी के साथ खुले कालेजों में अब दीपावली के बाद से प्रवेश शुरू प्रक्रिया हो पाएगी। लंबे समय तक शासनादेश के इंतजार के बाद कालेजों में प्रभारी प्राचार्य पद की घोषणा भी कर दी गई है। नए कालेजों में प्रभारी प्राचार्य बनने के लिए डिग्री कालेजों के कई प्रोफेसर लालायित थे। जिसके लिए वह लंबे समय से निदेशालय का चक्कर भी लगा रहे थे। वहीं कई प्राध्यापक शासन में बैठे अधिकारियों से भी दोस्ती निभा रहे थे। जिसमें से कई लोगों ने अपनी नियुक्ति के लिए सिफारिश भी लगवाई।

प्रदेश के नए खुल रहे नौ डिग्री कालेज की शुरुआत में पहले चरण में प्राचार्य की ही नियुक्ति होनी थी। जिसकी घोषणा 25 अक्टूबर को कर दी गई। जिसमें अपना नाम नहीं देखकर कई शिक्षकों को झटका लगा हैं। वहीं कई प्राध्यापक निदेशालय के अधिकारियों को भी फोन लगा रहे हैं। जिन्हें रामगढ़ व अन्य प्रस्तावित कालेजों में प्राचार्य पद दिलाने का दिलासा दिया जा रहा है। फिलहाल नए नामों की घोषणा होने के बाद अब प्राचार्य पदों की डीपीसी के परिणाम का इंतजार भी बढ़ गया है। माना जा रहा है कि एक सप्ताह के अंदर डीपीसी का परिणाम भी आ जाएगा। ऐसे में उम्मीद लगाए प्राध्यापकों ने फिर से उच्च शिक्षा निदेशालय व देहरादून की दौड़ लगानी शुरू कर दी है। जिसके लिए उन्हें अवकाश भी लेना पड़ रहा है।

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