तवाघाट-गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग खुला, चलसीता पर अब भी गिर रहे हैं पत्थर

विगत 26 दिनों से बंद तवाघाट- गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग यातायात के लिए खुल चुका है। चलसीता लामारी के पास अभी भी पहाड़ की तरफ से पत्थर गिर रहे हैं। मार्ग खुलने से व्यास घाटी के सात गांवों सहित सेना आइटीबीपी एसएसबी और बीआरओ के लिए भी सुगमता बन चुकी है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 06:30 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 06:30 AM (IST)
तवाघाट-गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग खुला, चलसीता पर अब भी गिर रहे हैं पत्थर
तवाघाट-गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग खुला, चलसीता पर अब भी गिर रहे हैं पत्थर

जागरण टीम, पिथौरागढ़/धारचूला/ मुनस्यारी : विगत 26 दिनों से बंद तवाघाट- गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग यातायात के लिए खुल चुका है। उच्च और मध्य हिमालय की संधि स्थल चलसीता , लामारी के पास अभी भी पहाड़ की तरफ से पत्थर गिर रहे हैं। मार्ग खुलने से व्यास घाटी के सात गांवों सहित सेना, आइटीबीपी, एसएसबी और बीआरओ के लिए भी सुगमता बन चुकी है।

उच्च हिमालयी में चीन सीमा को जाडऩे वाला तवाघाट- सोबला- तिदांग मार्ग 100वें दिन भी यातायात के लिए बंद रहा। मार्ग बंद होने से तल्ला, मल्ला दारमा, चौदास घाटी के 40 गांवों का सम्पर्क बहाल नही हो सका है। चीन सीमा को जाडऩे वाला तीसरा मार्ग मुनस्यारी-मिलम मार्ग भी तीन माह यातायात के लिए नहीं खुला। सामरिक दृष्टि से अति महत्व का तवाघाट-लिपुलेख मार्ग यातायात के लिए खुल चुका है। शनिवार की सायं इस मार्ग में वाहन पास हुए। विगत 26 दिनों से फंसे वाहन निकल सके। मार्ग खुलने से अब व्यास घाटी के साथ गांव बूंदी, गब्र्यांग, गुंजी, नपलच्यु, नाबी, रौंकगोंग और कुटी के ग्रामीणों को राहत मिली है। इसके अलावा सीमा पर तैनात सेना और अद्र्धसैनिक बलों को भी राहत मिली।

बताया जा रहा है कि मार्ग यातायात के लिए खुल चुका है, परंतु चलसीता और लामारी के पास अभी भी पहाड की तरफ से पत्थर गिर रहे हैं। जिसके चलते यातायात प्रभावित हो रहा है। दूसरी तरफ दारमा मार्ग नहीं खुलने से हजारों की आबादी अभी भी परेशान है। मुनस्यारी से मिले समाचारों के अनुसार क्वीरीजीमिया गांव के जीमिया तोक को जाने वाला पैदल मार्ग खाई में तब्दील हो चुका है। पैरड़ नामक स्थान पर बनी खाई के चलते ग्रामीणों को आवाजाही में भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। पैरड़ नामक स्थान पर वर्ष 2013 की आपदा से ही मार्ग क्षतिग्रस्त होने लगा था। वर्ष 2019 में आपदा से मार्ग बदहाल हो गया था और इस वर्ष की आपदा से मार्ग खाई में तब्दील हो चुका है। खाई के बीच बने नाले को ग्रामीण जान की बाजी लगा कर पार रहें हैं।

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