प्रोटीन लें और बचपन से ही डालें व्यायाम की आदत, हड्डियां रहेंगी मजबूत, नहीं होगा कमर दर्द
कमर दर्द हो या फिर गर्दन व पीठ का दर्द। इसका कारण प्रोटीन की कमी व्यायाम न करना और निष्क्रिय जीवनशैली है। नीलकंठ अस्पताल के वरिष्ठ हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ डा. बीएस बिष्ट सलाह देते हैं अपनी डायट में प्रोटीन का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कमर दर्द हो या फिर गर्दन व पीठ का दर्द। इसके पीछे कुछ कारण एक जैसे रहते हैं। इसमें प्रोटीन की कमी, व्यायाम न करना और निष्क्रिय जीवनशैली है। नीलकंठ अस्पताल के वरिष्ठ हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ डा. बीएस बिष्ट सलाह देते हैं, अपनी डायट में प्रोटीन का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। इसके साथ ही व्यायाम की आदत बचपन से ही डालनी चाहिए। अगर हड्डियां मजबूत रहेंगी तो तमाम दर्द नहीं होंगे। डा. बिष्ट रविवार को दैनिक जागरण के हैलो डाक्टर में उपस्थित थे। उन्होंने कुमाऊं भर के लोगों को फोन के जरिये परामर्श दिया।
दर्द होने के ये है पांच कारण
- फिजिकल एक्टिविटी बिल्कुल भी न होना
- संतुलित आहार की कमी होना
- एक ही पाजिशन में लंबे समय तक रहना
- शरीर का वजन अधिक होना
- पुरानी चोट का होना
इन बातों का रखें ध्यान
- नियमित एक से डेढ़ घंटे व्यायाम करें
- संतुलित तरीके से थोड़ा-थोड़ा आहार लें
- क्षमता से ज्यादा व्यायाम न करें
- प्रोटीनयुक्त भोजन का अवश्य सेवन करें
- एक ही जगह पर लंबे समय तक न बैठें
50 साल की उम्र में लें कैल्सियम व विटामिन डी
डा. बिष्ट ने बताया कि अगर 50 वर्ष हो गए हैं तो एक साल में कम से कम तीन माह कैल्सियम व विटामिन डी का सेवन करें। ऐसे लोग इन दवाइयों का सेवन करें, जो निष्क्रिय रहते हैं। इसके लिए डाक्टर से ही संपर्क करें।
पैरों में जाने वाले दर्द से ऐसे पाएं राहत
कमर से पैरों में जाने वाले दर्द को लेकर लोग परेशान रहते हैं। डा. बिष्ट बताते हैं, इस तरह के दर्द को सियाटिका कहते हैं। ऐसे रोगियों को तीन माह तक के लिए दवाइयां, रहन-सहन, फिजियोथेरेपी की सलाह दी जाती है। 80 फीसद बीमारी ठीक हो जाते हैं। इसके बावजूद दर्द ठीक नहीं हुआ तो आपरेशन की भी सलाह दी जाती है।
चोट लगने पर ऐसे करें सिकाई
डा. बिष्ट ने बताया कि अगर चोट लगी है। बाहर से घाव नहीं है तो 24 घंटे तक बर्फ से सिकाई करनी चाहिए। बर्फ को सीधे घाव पर न लगाएं। आइस पैक या फिर बर्फ के टुकड़े को कपड़े में लपेट कर सिकाई करें। ऐसा इसलिए कि अंदर से खून बहता है। इस तरह की सिकाई से नसें सिकुड़ जाती हैं और खून बहना बंद हो जाता है। इसके बाद गर्म सिकाई की जरूरत होती है।
इन्होंने लिया परामर्श
अल्मोड़ा से दीपक, कनालीछीना से जीवन धामी, पिथौरागढ़ से फकीर राम ग्वासीकोटी, गोविंद जोशी, महेश जोशी, रामनगर से रजनी, ऊधमसिंह नगर से रोहित अग्रवाल, शक्ति फार्म से महेंद्र अग्रवाल, द्वाराहाट से जीवन पंत, पाडली से फकीर सिंह, भीमताल से गोपाल, मुनस्यारी से चंद्र सिंह, काशीपुर से योगेश सक्सेना, हल्द्वानी से शालिनी, महेश त्रिपाठी, हरीश चंद्र भट्ट, राकेश कुमार, हरीश पंत, सुभाष जोशी ने फोन कर परामर्श लिया।