इलाज के लिए बेस अस्पताल लाए गए बच्चे में दिखे पोलियो जैसे लक्षण, रिपोर्ट दिल्ली भेजी
इलाज के लिए बेस अस्पताल लाए गए एक बच्चे में पोलियो जैसे लक्षण दिखने से मंगलवार को बेस अस्पताल के चिकित्सकों में हड़कंप मच गया।
हल्द्वानी, जेएनएन : इलाज के लिए बेस अस्पताल लाए गए एक बच्चे में पोलियो जैसे लक्षण दिखने से मंगलवार को बेस अस्पताल के चिकित्सकों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में चिकित्सकों ने प्रतिरक्षण टीम से संपर्क साधा। टीम ने अस्पताल पहुंचकर बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण किया और जांच के लिए रिपोर्ट दिल्ली भेज दी गई है।
गौलापार के एक गांव के ढाई वर्षीय बच्चे की अचानक तबीयत खराब हो गई। परिजन सुबह उसे बेस अस्पताल ले आए और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज त्रिपाठी को दिखाया। चेकअप के दौरान जब डॉक्टर ने उसको फर्श पर चलाया तो वह बेहोशी की हालत जैसे चल रहा था। उसके कदम सही जगह नहीं पड़ रहे थे। डॉक्टर को बच्चे में पोलियो जैसे लक्षण दिखाई देने का संदेह हुआ। जिस पर उन्होंने तत्काल इसकी सूचना जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. अजय शर्मा को दी। सूचना पर पूरी टीम बेस अस्पताल पहुंच गई। डॉ. शर्मा ने बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण किया और परिजनों से विस्तार से जानकारी ली। इसके बाद बच्चे की स्टूल का सैंपल लिया गया। रिपोर्ट को दिल्ली के राष्ट्रीय संक्रामक रोग केंद्र को भेज दिया गया। टीम का कहना है कि सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
दूध पीने के बाद बिगड़ी हालत
बेस अस्पताल पहुंचे परिजनों का कहना है कि सुबह करीब छह बजे बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ था। उसको कोई दिक्कत नहीं थी। करीब नौ बजे उसने रोटी खाई और कुछ देर बाद दूध पीया। इसके बाद से उसकी हालत बिगड़ती चली गई। वह कुछ बेहोशी की हालत सा लगा तो उसको अस्पताल ले आए।
एएफपी बीमारी मान रही टीम
जिला प्रतिरक्षण की टीम इसे एएफपी यानी एक्विट फ्लीड पैरालाइसिस की बीमारी मान रही है। चिकित्सकों का कहना है कि एएफपी यानी एक्विट फ्लीड पैरालाइसिस की बीमारी शून्य से 15 वर्ष तक के लोगों को होती है। इसमें शरीर लुंजपुंज हो जाता है। शौच जांच के माध्यम से रोग की पहचान की जाती है। इस रोग के बाद में पोलियो होने की संभावना भी रहती है।
लाखों में एक को होता रोग
एएफपी का रोग काफी कम लोगों में होता है। टीम का कहना है कि यह रोग एक लाख लोगों में एक इंसान को हो सकता है। अभी यह रोग इतना नहीं फैला है। मगर इस केस को देखते हुए टीम अलर्ट हो गई है।
चलने के दौरान बैलेंस नहीं कर पा रहा था बच्चा
डॉ. नीरज त्रिपाठी, बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि बच्चे का चेकअप कराने के लिए माता-पिता आए थे। वह चलने पर खुद को बैलेंस नहीं कर पा रहा था। अक्सर ऐसा मसल्स टोन में काम न कर पाने के कारण होता है। फिलहाल रिपोर्ट जांच के लिए भेजी है।
बच्चे में एएफपी के लक्षण नजर आ रहे
डॉ. अजय शर्मा, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी, हल्द्वानी ने बताया कि बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। बच्चे में एएफपी के लक्षण नजर आ रहे हैं। इसलिए बच्चे की स्टूल का सैंपल लिया गया है। सैंपल को दिल्ली के राष्ट्रीय संक्रामक रोग केंद्र को भेजा है।
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