धान खरीद में हुए सस्पेंड अधिकारी भी जांच कमेटी में, यूएस नगर में लक्ष्य से अधिक हुई थी धान खरीद
पिछले साल धान क्रय का लक्ष्य 18 लाख 11 हजार क्विंटल था जबकि इससे अधिक 20 लाख सात हजार क्विंटल खरीदा गया। मामले की जांच की गई। खरीद में अनियमितता पाए जाने पर यूएस नगर के तत्कालीन एआर सहकारिता एचसी खंडूरी को सस्पेंड कर देहरादून सबंद्ध कर दिया गया था।
अरविंद कुमार सिंह। रुद्रपुर : घोटालों को रफा दफा करने व अधिकारी को बचाने में आला अफसर ही माहिर हाेते हैं। धान खरीद मामले में जिस अधिकारी को सस्पेंड किया गया था, उसी अधिकारी को भी जांच टीम में शामिल किया गया है। टीम पिछले साल धान के परिवहन लेबर हैंडलिंग के कार्यों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बना दी गई है। इसे लेकर जांच कमेटी व कमेटी गठित करने वाले अफसर पर सवाल उठने लगे हैं।
यूएसनगर में धान, गेहूं व गन्ने की व्यापक स्तर पर खेती होती है। किसानों को वाजिब दाम मिल सके, इसके लिए वर्ष, 2010-21 में धान क्रय केंद्र खोले गए। पिछले साल धान क्रय का लक्ष्य 18 लाख 11 हजार क्विंटल था, जबकि इससे अधिक 20 लाख सात हजार क्विंटल खरीदा गया। लक्ष्य से अधिक खरीद मामले की जांच की गई। खरीद में अनियमितता पाए जाने पर यूएस नगर के तत्कालीन एआर सहकारिता एचसी खंडूरी को सस्पेंड कर देहरादून सबंद्ध कर दिया गया था। हालांकि कुछ दिन पहले एआर सहकारिता खंडूरी को बहाल कर दिया गया है और वह वर्तमान में सहायक निबंधक, सहकारी समितियां देहरादून में तैनात हैं। परिवहन लेबर हैंडलिंग में शासन से 9.20 रुपये प्रति क्विंटल के हिसा से दिया जाता है। जबकि ट्रांसपोर्ट का भुगतान किलाेमीटर व दूरी के हिसाब से किया जाता है।
पिछले साल निर्धारित लक्ष्य से अधिक क्रय किए गए धान व संघ के स्वयं के क्रय केंद्रों द्वारा किए गए धान के परिवहन लेबर हैंडलिंग में लाखों रुपये का भुगतान किया गया। इस मामले की जांच उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक मंगला प्रसाद त्रिपाठी ने मंगलवार को जांच कमेटी बना दी। कमेटी में एआर सहकारिता देहरादून एचसी खंडूरी, अपर जिला सहकारी अधिकारी, सहकारी समितियां देहरादून व ओएसडी यूसीएफ पान सिंह राणा और यूसीएफ के प्रबंधक त्रिभुवन सिंह रावत शामिल हैं। कमेटी से 15 दिन में जांच रिपोर्ट साक्ष्यों के साथ उपलब्ध कराने को कहा गया है। सहकारिता विभाग में चर्चा रही कि जिस मामले में जिस अधिकारी को सस्पेंड किया गया था, उसी अधिकारी को जांच कमेटी में शामिल करने पर जांच पर आंच आ सकती है। जाे अधिकारी जिस मामले में सस्पेंड हो चुका हो, वह अपने खिलाफ कैसे जांच करेगा। जांच में कितना पारदर्शिता हो सकती है, यह तो कमेटी बनाने वाले अफसर ही समझ सकते हैं।