खाली पड़ी जगहों पर पौधरोपड़ कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहीं सुशीला, अब तक लगा चुकी तीन हजार से अधिक पौधे

जूनियर हाईस्कूल राइकोट महर में कार्यरत सुशीला अब तक लोहाघाटनगर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में तीन हजार से ज्यादा फलदार छायादार व औषधीय पौधे लगा चुकी हैं। सुशीला ने बताया कि माल्टा संतरा गलगल नींबू आदि कुछ पौधों के बीज वह घर में ही तैयार करती हैं।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 03:26 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 03:26 PM (IST)
खाली पड़ी जगहों पर पौधरोपड़ कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहीं सुशीला, अब तक लगा चुकी तीन हजार से अधिक पौधे
वर्ष 1991 से लेकर अब तक वे पौधा रोपण का कार्य कर रही हैं।

जागरण संवाददाता, लोहाघाट (चम्पावत) : जहां भी खाली जगह दिखाई देती है वहीं पर पौधारोपण करना उनका मिशन होता है। चाहे पंचायती जमीन हो या फिर पार्क व सरकारी भूमि। पौध रोपण के उनके शगल के कारण लोग उन्हें पर्यावरण मित्र के नाम से भी जानते हैं। हम बात कर रहे हैं अध्यापिका सुशीला चौबे की। सुशीला लगातार 28 साल से इस कार्य को करती आ रही हैं।

वर्तमान में जूनियर हाईस्कूल राइकोट महर में कार्यरत सुशीला अब तक लोहाघाटनगर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में तीन हजार से ज्यादा फलदार, छायादार व औषधीय पौधे लगा चुकी हैं। सुशीला ने बताया कि माल्टा, संतरा, गलगल, नींबू आदि कुछ पौधों के बीज वह घर में ही तैयार करती हैं। जरूरत पडऩे पर वन विभाग अथवा उद्यान विभाग की नर्सरी से भी पौधे खरीदती हैं। उनके द्वारा लगाए हुए अनेक पौधे अब फल देने लगे हैं। मूल रूप से सुईं डुंगरी निवासी सुशीला वर्तमान में अपने परिवार के साथ छमनियां में रहती हैं। जहां उन्होंने पेड़ पौधों का बगीचा तैयार किया है।

वे बताती हैं कि वर्ष 1991 से लेकर अब तक वे पौधा रोपण का कार्य कर रही हैं। उनका लक्ष्य हर माह कम से कम पांच पौधे लगाने का रहता है। इसे अलावा वे स्कूली बच्चों और अभिभावकों को भी पौधा रोपण के लिए प्रेरित करती हैं। अपनी तैनाती के दौरान वे चम्पावत जिले के राजकीय प्राथमिक विद्यालय फोर्ती, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय छुलापै, राप्रावि लोहाघाट, खेतीखान, पोखरी के अलावा पिथौरागढ़ में मूनाकोट के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बाननी में भी पौधा रोपण कर स्थानीय लोगों को पेड़ पौधों का महत्व समझा चुकी हैं। उनके इस कार्य में उनके शिक्षक पति श्याम दत्त चौबे भी पूरा सहयोग करते हैं। सुशीला ने बताया कि पर्यावरण को संरक्षित करने व वायुमंडल में आक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए पौधा रोपण एवं उनकी सुरक्षा जरूरी है।

सावन के महीने में चलाती हैं अभियान

सुशीला वैसे तो साल भर पौध रोपण का कार्य करती हैं, लेकिन सावन के महीने में वे इसे वृहद अभियान के रूप में चलाती हैं। उनका कहना है कि सावन के महीने में पौधा जल्दी बड़ा हो जाता है और उसके सूखने की संभावना भी काफी कम होती है।

अब तक लगा चुकी हैं ये पौधे

सुशीला चौबे पहाड़ की जलवायु के अनुरूप अब तक संतरा, माल्टा, गलगल, नींबू, सेब, खुबानी, नाशपाती, पुलम, अखरोट के फलदार पौधे तथा अंजीर, सुरई, अकेशिया, बांज के हजारों पौधे लगा चुकी हैं। इसके अलावा अपने घर के प्लांट में तुलसी, गिलोय, एलोवेरा, स्ट्राबरी, हल्दी, बड़ी इलायची आदि के औषधीय पौधे भी उन्होंने लगाए हैं।

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