चौंका रहा पिथौरागढ़ में पकड़े गए गुलदार का व्यवहार, मानव बस्तियों के निकट होने से आ सकता है बदलाव
किसी को देखकर न गुर्रा रहा है और न ही पिजरे पर पंजा ही मार रहा है। हालांकि अब तक जितने भी गुलदार कैद हुए उनका व्यवहार बेहद आक्रामक रहा। खुद को लहूलुहान भी कर लेते। इसका व्यवहार एकदम उलट है।
ओपी अवस्थी, पिथौरागढ़ : जिला मुख्यालय में बीते सोमवार को पिजरे में कैद हुए गुलदार के व्यवहार से वन विभाग आश्चर्य में है। असल में गुलदार कैद में भी बेहद शांत है। किसी को देखकर न गुर्रा रहा है और न ही पिजरे पर पंजा ही मार रहा है। हालांकि अब तक जितने भी गुलदार कैद हुए उनका व्यवहार बेहद आक्रामक रहा। खुद को लहूलुहान भी कर लेते।
मानव बस्तियों से नजदीकी का तो असर नहीं
वन विभाग मान रहा है कि संबंधित गुलदार लंबे समय से मानव आबादी के आसपास ही रहता होगा। इस कारण वह मानवों को देखकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा। ऐसा नहीं होता तो वह पिजरे में आक्रामक जरूर होता। अब तक 35 गुलदारों को पिजरे में कैद करने वाले वन क्षेत्राधिकारी दिनेश जोशी भी उसके व्यवहार से आश्चर्यचकित हैं। उनका कहना है कि पूर्व में जब वन कर्मी भी पिजरे के आसपास जाते थे तो गुलदार आक्रामक होकर इस कदर उछल कूद मचाते थे कि खुद को घायल कर लेते थे। लेकिन इसका व्यवहार एकदम उलट है।
आदमखोर होने की भी आशंका
जिम कार्बेट से 1907 में हंटर नाइफ पुरस्कार प्राप्त स्व. जमन सिंह भंडारी के पोते डा. शीतल सिंह भंडारी बताते हैं कि आदमखोर गुलदार और बाघ मानवों को देखकर आक्रामक नहीं होते। इस कारण वे पिजरे में फंसने के बाद भी आक्रामक नहीं होते। वहीं, आम गुलदार मानव को देखते ही छटपटाने लगता है। मानव बस्तियों के पास सक्रिय गुलदार के व्यवहार में भी बदलाव आ सकता है।