अल्माेड़ा में उफनाई सुरभि नदी, ध्वस्त हुईं पेयजल योजनाएं, द्वाराहाट में वर्षों बाद दिखा भयावह मंजर

वर्षों बाद सुरभि नदी ने विकराल रूप ले लिया। तेज बहाव में चार बड़े गांवों की पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हो गईं। अतिवृष्टि से पहले ही बेजार इस विकासखंड में योजनाएं ध्वस्त होने से अब पांच और बड़ी ग्राम पंचायतों की जलापूर्ति ठप हो गई है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 09:35 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 09:35 PM (IST)
अल्माेड़ा में उफनाई सुरभि नदी, ध्वस्त हुईं पेयजल योजनाएं, द्वाराहाट में वर्षों बाद दिखा भयावह मंजर
जलस्तर इस कदर बढ़ गया कि कपिला गाय का प्रतीक विशाल शिलाखंड तक डूब गया।

जागरण संवाददाता, द्वाराहाट (अल्मोड़ा) : विकासखंड के कुछ उच्च पर्वतीय क्षेत्रों खंडवृष्टि ने फिर पेयजल योजनाओं पर कहर बरपाया। मूसलधार बारिश से गधेरे उफना गए। वर्षों बाद सुरभि नदी ने विकराल रूप ले लिया। तेज बहाव में चार बड़े गांवों की पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हो गईं। ध्वस्त हए पाइपों के टुकड़े दूर तक बहते चले गए। अतिवृष्टि से पहले ही बेजार इस विकासखंड में योजनाएं ध्वस्त होने से अब पांच और बड़ी ग्राम पंचायतों की जलापूर्ति ठप हो गई है।

पहाड़ में प्री मानसून बरस रहे मेघ आपदा सा अहसास कराने लगे हैं। बुधवार को सुरईखेत व समीपवर्ती इलाकों में मूसलधार बारिश से गधेरे उफना गए। नागार्जुन से निकलने वाली सुरभि नदी में बयेला, फलद्वाड़ी, नाड़, सुरईखेत, छिड़िया क्षेत्रों के गधेरे मिलते हैं। इससे सुरभि में बाढ़ से हालात बन गए। उफनाई नदी के तेज बहाव में रणा, वलना, बेढुली, खलना, सिमलगांव आदि के लिए पेयजल योजनाएं तबाह हो गईं। कुछ के पाइप ही बह गए। बारिश थमने पर नदी का बहाव कुछ कम हुआ तो पाइपों के टुकड़े जहां तहां बिखरे पड़े मिले।

उधर विभांडेश्वर तीर्थ में बना बैराज मलबे से पट गया। रणा ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान रमेश चंद्र पुजारी ने बताया कि सुरभि नदी का इतना रौद्ररूप वर्षों बाद देखा गया। जलस्तर इस कदर बढ़ गया कि कपिला गाय का प्रतीक विशाल शिलाखंड तक डूब गया। पूर्व प्रधान ने पेयजल व कृषि विभाग से स्थलीय निरीक्षण व क्षति का आकलन कर योजनाओं के जल्द पुनर्निर्माण की मांग उठाई है।

पहाड़ पर पानी की समस्या पहले से ही थी। वहीं नदी के तेज बहाव के चलते पेयजल पाइप लाइन बहने से यह समस्या और विकराल हो जाएगी। लगातार बारिश के चलते मरम्मत और योजना को दोबारा पटरी पर लाने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना होगा। ऐसे में समस्या और गहराएगी। लोगों को जलस्रोतों व गधेरों से काम चलाना पड़ेगा।

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