जिस सूखाताल में पर्यटन सुविधाएं विकसित करने की बात हो रही है वह गंदगी से पटा
स्वच्छ्ता सर्वेक्षण में कभी शीर्ष स्थान हासिल करने वाले शहर में स्वच्छ्ता की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। आलम यह है कि झील का कैचमेंट कहे जाने वाली सूखाताल झील गंदगी और कचरे से पटी पड़ी है।
नैनीताल, जागरण संवाददाता : स्वच्छ्ता सर्वेक्षण में कभी शीर्ष स्थान हासिल करने वाले शहर में स्वच्छ्ता की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। आलम यह है कि झील का कैचमेंट कहे जाने वाली सूखाताल झील गंदगी और कचरे से पटी पड़ी है। जिसकी पालिका को कोई सुध नहीं, यहा तक कि शहर में स्वच्छ्ता अभियान चलाने वाले संगठनों और संस्थाओं की नजरों से यह गंदगी ओझल है। झील में जमा गंदा पानी और गंदगी संक्रामक बीमारियां फैलाने की ओर भी इशारा कर रहा है।
बता दें कि शहर से कुछ ऊँचाई पर स्थित सूखाताल क्षेत्र को नैनी झील का कैचमेंट एरिया माना जाता है। इस क्षेत्र में प्रतिष्ठित होटलों के साथ ही घनी आबादी भी निवास करती है। अब इसे लोगों की नादानी कहे या पालिका की काहिली झील के चारों ओर का क्षेत्र कूड़े का डंप जोन बनता जा रहा है। साथ ही झील में गंदा पानी जमा होने से संक्रामक बीमारियों का खतरा भी बना हुआ है। जबकि पालिका द्वारा इसकी कोई सुध नहीं ली जा रही। शहर में स्वच्छ्ता अभियान चलाने वाली संस्थाओं का अभियान भी महज नैनी झील के चारों ओर सिमट कर रह गया है।
नालों में कूड़ा डालने की आदत बन रही कारण
सूखाताल झील तक बरसाती पानी पहुचाने के लिए यहा ब्रिटिश काल मे नालों का निर्माण किया गया है। मगर लोगों द्वारा कूड़ा इन नालों में डाला जा रहा है। जिस कारण बारिश के बाद सारा कूड़ा बहकर सूखाताल झील में एकत्रित हो रहा है।
संगठनों के साथ मिलकर चलाएंगे अभियान
वार्ड सभासद गजाला कमाल का कहना है कि जल्द संस्थाओं के साथ मिलकर क्षेत्र में सफाई अभियान चलाया जाएगा। साथ ही स्थानीय लोगो को भी गंदगी न करने के लिए जागरूक किया जाएगा।