Parakram Diwas 2021 : आजादी के असली नायक हैं सुभाष चंद्र बोस, यादों में खोए राम सिंह चौहान ने बताया - जो कहते थे वह करते थे नेताजी
Subhash Chandra Bose Jayanti 2021 स्वतंत्रता सेनानी 99 वर्षीय राम सिंह चौहान नेताजी को याद करते हुए कहते हैं कि आजादी के असली नायक सुभाष चंद्र बोस ही थे। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ अंग्रेजों से जंग शुरू की।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : आजाद सिंह फौज के सिपाही रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 99 वर्षीय राम सिंह चौहान की याद में आजादी के असली नायक सुभाष चंद्र बोस हमेशा से बसे हुए हैं। उनका कहना था कि नेताजी ही आजादी के असली नायक हैं, वह जो कहते थे, उसे करते थे।
सेनानी राम सिंह चौहान का जन्म 21 जून 1922 पास्तोली गांव में हुआ। वज्यूला के प्राथमिक स्कूल में कक्षा दो तक ही पढ़ पाए। उनके पिताजी हवलदार तारा सिंह चौहान गढ़वाल राइफल में तैनात थे और दो बड़े भाई कैप्टन और सूबेदार के पद पर रहे। तब भारत को स्वतंत्र कराने के लिए हर ओर जनता आंदोलन कर रही थी। ऐसे किस्से राम सिंह को घर में सुनने को मिलते रहते थे। आंदोलन के चलते स्कूल भी बंद हो गया तो वह भी जुलूस में जाने लगे। 19 वर्ष की आयु में नौ जनवरी 1941 में वह गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए। उनकी ट्रेनिग अभी पूरी ही हुई थी कि इस बीच नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आह्वान पर देशभक्ति के जज्बे से ओतप्रोत हुए और 15 फरवरी 1942 को अपने साथियों के साथ नेताजी की सेना में शामिल हो गए।
अंग्रेजों की सही यातनाएं, नहीं हारी हिम्मत
जिले के 124 सेनानियों में से एकमात्र जीवित स्वाधीनता सेनानी राम सिंह चौहान ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ अंग्रेजों से जंग शुरू की। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर बर्मा, मुल्तान, कोलकाता आदि जेलों में रखा। यातानाएं दीं, लेकिन वह आजाद सिंह फौज से जुड़े रहे। उन्होंने सजा से बचने के लिए अंग्रेजों से कोई माफी नहीं मांगी। बताते हैं कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्तूबर 1943 को सिंगापुर के कैथी सिनेमा हॉल में आजाद हिंद सरकार की स्थापना की घोषणा की थी। वहां पर नेताजी स्वतंत्र भारत की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री, युद्ध और विदेशी मामलों के मंत्री और सेना के सर्वोच्च सेनापति चुने गए थे।
गीता का नियमित पाठ
चौहान सुबह टहलने के बाद रामायण, गीता का पाठ करते हैं। चौहान के चार बेटे और चार बेटियां हुए। तीन पुत्र अब नहीं रहे। इकलौता पुत्र स्वरोजगार से परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं।