एमबीपीजी कॉलेज के छात्रों ने कहा, पढ़ाई हुई नहीं, किताबें मिली तो परीक्षा कराने का क्या औचित्य
एमबीपीजी कॉलेज के विद्यार्थी शुक्रवार को प्राचार्य कक्ष में एकत्रित हो गए। उन्होंने कहा कि न ही पढ़ाई हुई और न ही किताबें मिली। और परीक्षा कराने की तैयारी चल रही है। जब किताबें मिली ही नहीं और क्लास भी नहीं चली तो परीक्षा कराने का क्या मतलब।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : एमबीपीजी कॉलेज के तमाम विद्यार्थी शुक्रवार को प्राचार्य कक्ष में एकत्रित हो गए। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के चलते न ही पढ़ाई हुई और न ही किताबें मिली। और परीक्षा कराने की तैयारी चल रही है। जब किताबें मिली ही नहीं और क्लास भी नहीं चली तो परीक्षा कराने का क्या मतलब।
कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के कुलपति को संबोधित ज्ञापन देते हुए विद्यार्थियों ने प्राचार्य प्रो. बीआर पंत से कहा कि ऐसे में परीक्षा न कराई जाए। विद्यार्थियों को सीधे प्रमोट कर कर परिणाम घोषित कर दें और नई कक्षा में प्रवेश के लिए प्रक्रिया शुरू करवाई जाए। नितिन लोहनी ने कहा कि जब पढ़ाई ही नहीं हुई तो परीक्षा कराने का क्या औचित्य रह जाता है।
छात्र-छात्राओं ने ज्ञापन के माध्यम से चेतावनी दी है कि अगर सात दिन के भीतर परीक्षा व प्रवेश को लेकर निर्णय नहीं लिया गया तो आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ेगा। इसकी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।
इस दौरान छात्र नेता निहित नेगी, जीवन जोशी, भरत सिंह मेहता, सूरज खाती, सूरज जंतवाल, पंकज गोस्वामी, आदित्य कठायत, विनय पाल, रॉबी सिंह, हिमांशु मेहरा, सूरज मनराल, संदिप लमगडिय़ा, आलोक, करन आदि शामिल रहे। प्राचार्य ने बताया कि विद्यार्थियों से मिला ज्ञापन विश्वविद्यालय भेज दिया जाएगा। परीक्षा कराने या न कराने का निर्णय विश्वविद्यालय का है।
एमबीपीजी कॉलेज में शुरू हुई हलचल
शासन की ओर से दो अगस्त से कॉलेज खोलने के आदेश के बाद से अब एमबीपीजी कॉलेज में हलचल शुरू हो गई है। कॉलेज शुरू करवाने के लिए तैयारियां शुरू करवाई जा रही हैं। प्राचार्य प्रो. बीआर पंत ने बताया कि अब सभी शिक्षकों व कर्मचारियों को कॉलेज बुलाया गया है। दो अगस्त से कक्षाएं भी शुरू होंगी। इसके लिए सभी शिक्षकों को निर्देशित कर दिया गया है।
फिलहाल छात्रसंघ चुनाव की संभावना नहीं
एमबीपीजी कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव की कोई संभावना नहीं है। इसे लेकर किसी तरह के निर्देश भी जारी नहीं हुए हैं। प्राचार्य का कहना है कि जिस तरह के निर्देश आएंगे। उसी आधार पर निर्णय लिया जाएगा।