कोरोना टीकाकरण के साथ हर्ड इम्युनिटी की ओर रखा मजबूत कदम
हर्ड इम्यूनिटी यानी सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता दो प्रकार से आती है एक जब आदमी की प्रतिरोधक क्षमता प्राकृतिक रूप से बेहतर हो और वह संक्रमित होने के बाद स्वतः ही स्वस्थ हो गया हो अथवा पूर्व में किये गये अन्य टीकाकरण से उसकी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो चुकी हो।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : कोरोना टीकाकरण के साथ ही महामारी के खात्मे की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा दिया गया है। कुमाऊं विवि के जंतु विज्ञानी प्रो सतपाल सिंह बिष्ट ने जागरण से बातचीत में कहा कि हर्ड इम्यूनिटी यानी सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता दो प्रकार से आती है, एक जब आदमी की प्रतिरोधक क्षमता प्राकृतिक रूप से बेहतर हो और वह संक्रमित होने के बाद स्वतः ही स्वस्थ हो गया हो अथवा पूर्व में किये गये अन्य टीकाकरण से उसकी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो चुकी हो। यह संज्ञान में रखना आवश्यक है कि ऐसे लोग स्वस्थ वाहक (healthy career) होते हैं किंतु हर्ड इम्यूनिटी का महत्वपूर्ण भाग होते हैं।
सामान्यतया हर्ड इम्युनिटी या झुण्ड प्रतिरोधकता टीकाकरण से पहले और बाद में, दोनों तरह से आती है। जनसंख्या के बड़े हिस्से में जब झुण्ड प्रतिरोधकता आ जाती है तो महामारी धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है या इसका असर नगण्य हो जाता है।
आबादी के एक हिस्से के वायरस से संक्रमित होने पर उनके शरीर के अंदर संक्रमण के खिलाफ सामूहिक इम्युनिटी यानी प्रतिरोधक क्षमता पैदा होगी। इससे शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज़ बनेंगी जिसे उनके शरीर से निकालकर उन्नत वैक्सीन तैयार करने एवं शोधकार्यों में काफी मदद मिल सकती है और भविष्य में लोगों को इस महामारी से पूर्ण रूप से बचाया जा सकता है।
किसी भी टीके (वैक्सीन) को बेहतर बनाने का काम वर्षों तक चलता रहता है। उदाहरण के लिए कोविड-19 के टीके की पीडियाट्रिक डोज (बच्चों की वैक्सीन) अभी तक उपलब्ध नहीं है और इसे आने में अभी एक या दो साल और लग सकते हैं। शनिवार से प्रारंभ हुआ टीकाकरण तेजी से झुण्ड प्रतिरोधकता बढ़ाने में सहायक होगा और भारत के साथ ही पूरी दुनिया को इस बीमारी से निजात मिलेगी।