एसपी ने लिखा भावुक पोस्‍ट, रपट तुम्हारी कहां लिखवाएं, बिना रवानगी आमद क्यों की

कोरोनाकाल में पुलिस के नेक कामों की चर्चा हर किसी की जुबान पर थी। उस समय एसपी ट्रैफिक राजीव मोहन के पास जनपद में पास जारी करने की जिम्मेदारी थी। पूरी पड़ताल के बाद ही वह पास दिया करते थे मगर कभी किसी पीडि़त को परेशान नहीं होने दिया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 09:51 AM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 09:51 AM (IST)
एसपी ने लिखा भावुक पोस्‍ट, रपट तुम्हारी कहां लिखवाएं, बिना रवानगी आमद क्यों की
एसपी ने लिखा भावुक फबी पोस्‍ट, रपट तुम्हारी कहां लिखवाएं, बिना रवानगी आमद क्यों की

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कोरोनाकाल में पुलिस के नेक कामों की चर्चा हर किसी की जुबान पर थी। उस समय एसपी ट्रैफिक राजीव मोहन के पास जनपद में पास जारी करने की जिम्मेदारी थी। पूरी पड़ताल के बाद ही वह पास दिया करते थे, मगर कभी किसी पीडि़त को परेशान नहीं होने दिया। मैक्स रेफर होने के बाद अफसरों व जवानों को पूरी उम्मीद थी कि वह इस जंग को जीतकर दोबारा खाकी में नजर आएंगे, मगर काल को यह मंजूर न हुआ। निधन की सूचना मिलने पर उनके बैचमेट व एसपी क्राइम देहरादून लोकजीत सिंह की फेसबुक पोस्ट ने लोगों को भावुक कर दिया। उन्होंने लिखा कि 'रपट तुम्हारी कहां लिखवाएं, बिना रवानगी, स्वर्ग में आमद क्यों की।

शांत व शालीन मिजाज के एसपी ट्रैफिक राजीव मोहन के जाने का गम जवानों से लेकर अफसरों के चेहरे पर भी साफ नजर आ रहा है। सूचना मिलने के बाद एसएसपी प्रीति प्रियदर्शिनी, प्रभारी एसपी डा. जगदीश चंद्र, सीओ भूपेंद्र सिंह धौनी ने ईसाईनगर लामाचौड़ स्थित उनके घर जाकर पत्नी व अन्य परिजनों को ढांढस बंधाया। राजीव मोहन के पिता सुरेंद्र कुमार व मां नंदी देवी गांव में रहते हैं। पिता बैंक की नौकरी से रिटायर्ड हैं। करीब पांच साल पहले ही एसपी ने लामाचौड़ में घर बनाया था। क्षेत्र के लोग भी उनकी मौत की सूचना से स्तब्ध हैं। पुलिस अफसरों के मुताबिक दिल्ली से विशेष एंबुलेंस में शव लाया जा रहा है। अंतिम संस्कार हल्द्वानी में होगा।

इन पंक्तियों से दी श्रद्धांजलि 

माना तुम थोड़े जल्दबाज तो थे, सदा के लिए जाने की जल्दबाजी क्यों की। निश्छल प्रेम से भरा था तुम्हारा हृदय, सीने में बीमारी को इतनी जगह क्यों दी। ट्रेनिंग में मिले थे, जिदंगी में साथ जी रहे थे, जब जाना ही था तो मीठी यादें क्यों दी। दूसरों की सबसे ज्यादा फिक्र तुम्हें ही तो होती थी, मेरे दोस्त तुमने अपनी फिक्र क्यों नहीं की। ट्रेनिंग, ट्रांसफर, पोस्टिंग और प्रमोशन की जद्दोजहद में यूं दशक गुजरा, चैन की सांसों से पहली आखिरी सांस क्यों ली...। तुम्हारे लिए कुछ न कर सकने वाला लोकजीत। 

कोरोना योद्धा का सफरनामा 

मूल रूप से ग्राम पुराना डांग, तहसील चौखुटिया (अल्मोड़ा) निवासी राजीव मोहन का जन्म 27 मई 1981 को हुआ। अगस्त 2009 में वह पुलिस उपाधीक्षक के पद पर भर्ती हुए थे। पिथौरागढ़, ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार, आइआरबी प्रथम के अलावा सीओ लालकुआं भी रहे। जनवरी 2019 से वह नैनीताल में अपर पुलिस अधीक्षक की जिम्मेदारी निभा रहे थे। 

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