नंधौर के दो गावों में सोलर फेंसिंग कामयाब, रिवर्स पलायन कर खेती में जुटे लोग

वन विभाग ने हाल में नंधौर सेंचुरी के इको सेंसेटिव जोन में आने वाले दो गांवों में सोलर फेंसिंग करवाई थी। साथ ही सोलर लाइट भी मुहैया करवाई। बकरियाल पाटली और बठौल नामक यह दो गांव घने जंगल में स्थित हैं। बठौल पहले से आबाद गांव था।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 06:28 AM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 06:28 AM (IST)
नंधौर के दो गावों में सोलर फेंसिंग कामयाब, रिवर्स पलायन कर खेती में जुटे लोग
नंधौर के दो गावों में सोलर फेंसिंग कामयाब, रिवर्स पलायन कर खेती में जुटे लोग

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : वन विभाग ने हाल में नंधौर सेंचुरी के इको सेंसेटिव जोन में आने वाले दो गांवों में सोलर फेंसिंग करवाई थी। साथ ही सोलर लाइट भी मुहैया करवाई। बकरियाल पाटली और बठौल नामक यह दो गांव घने जंगल में स्थित हैं। बठौल पहले से आबाद गांव था। मगर बकरियाल पाटली में सिर्फ एक परिवार बचा था। पलायन की वजह घने जंगल में वन्यजीवों का आतंक था। जिस वजह से लोग खेती भी नहीं कर पा रहे थे। वन विभाग का दावा है कि बकरियाल पाटली गांव अब फिर से आबाद होने लगा है। 20 से अधिक परिवार गांव लौट दोबारा खेती में जुटे हैं। जबकि पूर्व में यहां रहने वाले अन्य लोग भी संपर्क कर रहे हैं।

हल्द्वानी डिवीजन का जंगल नैनीताल, ऊधमसिंह नगर व चंपावत जिले तक में फैला है। 2012 में जंगल के एक बड़े हिस्से को नंधौर सेंचुरी घोषित कर दिया गया था। हाल में शासन ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से सेंचुरी का इको सेंसेटिव जोन का दायरा तय करवा लिया। राज्य द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर हूबहू मुहर लग गई। प्रस्ताव के मुताबिक सेंसेटिव जोन में सिर्फ बकरियाल पाटली व बठौल गांव आ रहे हैं। दोनों टनकपुर की शारदा रेंज में आते हैं। डीएफओ कुंदन कुमार सिंह के मुताबिक बकररियाल पाटली में सिर्फ एक परिवार बचा था। जबकि बठौल आबाद है। पाटली के लोग वन्यजीवों के डर और खेती को हो रहे नुकसान की वजह से गांव छोड़ कर जा चुके थे। मगर फारेस्ट द्वारा गांव की सीमाओं पर सोलर फेंसिंग करने पर डर खत्म हुआ और 20 से अधिक परिवार फिर लौट आए।

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