स्वदेशी आंदोलन की अग्रणी थी भगिनी निवेदिता एमबीपीजी कालेज में विद्यार्थियों ने मनाया जन्मदिवस

एमबीपीजी कालेज में भगिनी निवेदिता का जन्मदिन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से मनाया गया। एबीवीपी की कुमाऊं प्रभारी रश्मि लमगडिय़ा ने इस मौके पर कहा कि भगिनी निवेदिता समर्पण की प्रतीक के रूप में जानी गई।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 06:30 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 06:30 PM (IST)
स्वदेशी आंदोलन की अग्रणी थी भगिनी निवेदिता एमबीपीजी कालेज में विद्यार्थियों ने मनाया जन्मदिवस
स्वामी विवेकानंद ने भगिनी निवेदिता को दीक्षित कर महात्मा बुद्ध के पथ पर आगे चलने के लिए प्रेरित किया।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : आजादी की लड़ाई से लेकर स्वदेशी आंदोलन तक भारतीयों का नेतृत्व करने वाली भगिनी निवेदिता का जन्मदिन एमबीपीजी के विद्यार्थियों ने मनाया। उन्होंने भगिनी निवेदिता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके योगदान को याद किया।

एमबीपीजी कालेज में भगिनी निवेदिता का जन्मदिन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से मनाया गया। एबीवीपी की कुमाऊं प्रभारी रश्मि लमगडिय़ा ने इस मौके पर कहा कि भगिनी निवेदिता समर्पण की प्रतीक के रूप में जानी गई। 17 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने शिक्षक के रूप में अपना कार्य शुरू किया। जिसमें वह महिला शिक्षा के लिए आजीवन कार्यरत रही। प्राचीन भारतीय समाज में जब महिलाओं को शिक्षा से दूर रखा जा रहा था, तब भगिनी निवेदिता ने जनमानस में बालिका के महत्व व शिक्षा के बारे में बताते हुए जागरूकता फैलाई। जिसका असर था कि बड़े स्तर पर भारतीय समाज की महिलाएं शिक्षा के लिए आगे आने लगी। छात्र नेता कौशल बिरखानी ने कहा कि भगिनी निवेदिता ने आजादी के आंदोलन में भाग लेने वाले लोगों की हमेशा सहायता की। यही कारण है कि स्वामी विवेकानंद ने भगिनी निवेदिता को दीक्षित कर महात्मा बुद्ध के पथ पर आगे चलने के लिए प्रेरित किया। जिस कार्य में वह आजीवन सहभागी बनी रही।

भगिनी निवेदिता ने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने के लिए भारतीय समाज को प्रेरित किया। जिससे स्वदेशी आंदोलन में उनकी अग्रणी भूमिका की चर्चा हमेशा की जाती है। एमबीपीजी कालेज में कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में शिक्षकों व छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की। शिक्षकों ने भगिनी निवेदिता के जीवन परिचय से सभी को परिचित कराया। इस कार्यक्रम में हिंदी विभागाध्यक्ष डा. प्रभा पंत, राजनीति शास्त्र विभाग के प्रोफेसर डा. सचिन रस्तोगी, हेम बोरा, इशा बदलवाल, काजल, गीता, गुंजन, बालम बिष्ट, मदन गौनिया आदि मौजूद थे।

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