वेदों में हिंदू शब्द की प्रमाणिकता के सवाल से भड़के शंकराचार्य

शंकराचार्य ने एक-एक कर वेद उपनिषद और तुलसीदास जी की विनय पत्रिका से श्लोक लेते हुए हिंदू व हिंदुत्व की परिभाषा को विस्तार से बताना शुरू किया। तभी प्रभात कुमार ने बीच में ही बात काटकर इस पर असंतुष्टि जताई। कहा कि वह इस उत्तर से संतुष्ट नहीं हैं।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 09:40 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 09:40 PM (IST)
वेदों में हिंदू शब्द की प्रमाणिकता के सवाल से भड़के शंकराचार्य
उन्होंने जिज्ञासा शांत करने की कोशिश भी की लेकिन आर्य समाज के पुरोहित प्रतिउत्तर करते रहे।

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : गोवर्धन मठ पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के शहर प्रवास के तीसरे दिन सवाल-जवाब ने बहस का रूप ले लिया। वेदों में हिंदू शब्द की प्रमाणिकता के सवाल पर उन्होंने जिज्ञासा शांत करने की कोशिश भी की लेकिन आर्य समाज के पुरोहित प्रतिउत्तर करते रहे। जिस पर शंकराचार्य नाराज हो उठे तो विधायक व अन्य लोग पुरोहित को कार्यक्रम से बाहर ले गए।

गुरुवार को शाम छह बजे रुद्रा होटल में संवाद कार्यक्रम चल रहा था। जगतगुरु शंकराचार्य ने जीव, सनातन धर्म, राजनीति व आध्यात्म पर प्रबुद्धजनों के सवालों के जवाब दिए। इसी बीच आर्य समाज के पुरोहित प्रभात कुमार आर्य ने प्रश्न पूछा कि चारों वेदों में कौन सा ऐसा मंत्र है, जिसमें हिंदू शब्द है। शंकराचार्य ने एक-एक कर वेद, उपनिषद और तुलसीदास जी की विनय पत्रिका से श्लोक लेते हुए हिंदू व हिंदुत्व की परिभाषा को विस्तार से बताना शुरू किया। तभी प्रभात कुमार ने बीच में ही बात काटकर इस पर असंतुष्टि जताई। कहा कि वह इस उत्तर से संतुष्ट नहीं हैं। इस पर शंकराचार्य उन्हें बार-बार चुप होने को कहते रहे।

पुरोहित के भी तर्क जारी रहे तो शंकराचार्य नाराज हो गए और बोले क्या वह संवाद कार्यक्रम में बाधा डालने की मंशा से आए हैं। ऐसे में आयोजन स्थल में शोर होने लगा। मामला शांत न होता देख रुद्रपुर विधायक राजकुमार ठुकराल व भारत भूषण चुघ ने पुरोहित को शांत कराया और उन्हें सभागार के बाहर ले गए। कुछ देर के लिए संवाद कार्यक्रम रुक गया।

सांई भगवान नहीं, मनुष्य की उपज हैं 

प्रवचन व संवाद कार्यक्रम में शंकराचार्य ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि सांई भगवान के तौर पर जाने जाते हैं। मगर यह मनुष्य की तरफ से बनाए गए भगवान हैं। हिंदू होते तो मंदिर में प्रतिस्थापित होते और अगर मुसलमान हैं तो इनकी फोटो मस्जिद में लग जानी चाहिए थी। मगर ऐसा हो नहीं सकता है। इसलिए मैं उनको भगवान की संज्ञा नहीं दे सकता। जो भगवान मनुष्य बनाए वह घटिया कहा जाएगा।

chat bot
आपका साथी