छात्रनेता बनने के लिए एक ही कक्षा के सात दोस्त एक दूसरे के खिलाफ लड़े चुनाव
वैसे तो हर साल डिग्री कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव प्रवेश प्रक्रिया की समाप्ति के बाद करा लिए जाते हैं। प्रवेश लेने आने वाले नए विद्यार्थियों की समस्याओं को लेकर छात्रनेता खूब हंगामा करते हैं लेकिन इस बार कोरोना के चलते फिलहाल छात्र संघ चुनाव पर संशय बरकरार है।
हल्द्वानी, जेएनएन : वैसे तो हर साल डिग्री कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव प्रवेश प्रक्रिया की समाप्ति के बाद करा लिए जाते हैं। प्रवेश लेने आने वाले नए विद्यार्थियों की समस्याओं को लेकर छात्रनेता खूब हंगामा करते हैं लेकिन, इस बार कोरोना के चलते फिलहाल छात्र संघ चुनाव पर संशय बरकरार है। हालांकि कॉलेज में छात्र आंदोलन होने शुरू हो गए हैं। छात्रसंघ चुनाव में एमबीपीजी में हर साल कुछ न कुछ इतिहास जरूर बनता है चाहे वह अच्छा हो या बुरा। वर्ष 2019 के चुनाव में कॉलेज की एक ही कक्षा के सात दोस्त अलग-अलग पदों पर एक दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर गए। इससे कक्षा के अन्य छात्र असमंजस में पड़ गए कि वे किसे वोट दें। ऐसा एमबीपीजी के चुनावी इतिहास में पहली बार देखा गया।
तीन पदों पर हुए थे सात नामांकन
दिलचस्प बात ये थी कि पीजी डिप्लोमा इन योग विषय के तीन छात्र अध्यक्ष पद के लिए तो छात्र उपाध्यक्ष और सचिव पद के लिए दो-दो छात्रों ने नामांकन करा दिया। मुख्य पदों के लिये नामांकन कराने के चलते इस कक्षा के कई छात्रों ने मतदान से ही किनारा कर लिया।
कला वर्ग के छात्रों को नेतागिरी का शौक
एक वक्त था जब बीएससी, एमएससी करने वाले छात्र ही चुनाव मैदान में अधिक दिखाई दिया करते थे। लेकिन धीरे-धीरे वक्त बदला तो बीए, एमए के छात्रों ने भी चुनाव में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी। 2019 के चुनाव में 11 पदों पर एमबी कॉलेज के 70 छात्रों ने दावेदारी पेश की थी। जिनमें से 53 फीसद छात्र कला वर्ग (बीए के 28, एमए के नौ) में पढ़ने वाले थे।
एक साल से अधिक हुआ कार्यकाल
छात्र संघ कार्यकारिणी का कार्यकाल एक वर्ष का होता है। लेकिन इस बार यह एक साल से ऊपर चला गया है। 2019 में सितंबर माह में चुनाव सभी कॉलेजों में करा लिए गए थे।