जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : कुमाऊं नदी पुनर्जनन महाभियान समिति की बैठक में लगातार दम तोड़ती गैरहिमानी नदियों के संरक्षण पर खास जोर दिया गया। कोसी पुनर्जनन महाभियान के जनक प्रो. जीवन ङ्क्षसह रावत ने कहा कि जब तक नदी संरक्षण व उन्हें पुनर्जीवित करने को जवाबदेही तय नहीं कर ली जाती, नदियों को नहीं बचाया जा सकता। उन्होंने पृथक उत्तराखंड नदी पुनर्जनन प्राधिकरण के गठन की पुरजोर वकालत की। साथ ही जलस्रोतों व जंगलात के लिए घातक वनाग्नि पर प्रभावी नियंत्रण के लिए एक्शन प्लान बनाए जाने की जरूरत बताई। आयुक्त ने सभी जिलाधिकारियों को नदियों के पुनर्जनन की मुहिम को धरातल पर उतारने को संजीदगी से जुटने को कहा।
विकास भवन के एनआइसी में रविवार को मंडल भर के डीएम के साथ आयुक्त सुशील कुमार ने गहन मंथन किया। उन्होंने कहा कि कुमाऊं मंडल में 22 नदियां हैं। इनमें कुछ लुप्त हो चुकी हैं तो कइयों का जलस्तर में लगातार घट रहा है। कहा कि एक डेढ़ दशक में जलसंकट दस्तक दे सकता है। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि नदियों के पुनर्जनन अभियान के त्वरित क्रियान्वयन संकट को टालने में मदद दे सकता है। लिहाजा सभी जिलों के डीएम लक्ष्य हासिल करने को अपने जिलों में मुहिम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाएं। इसी मकसद से सभी जनपदों में जिला स्तरीय क्रियान्वयन समितियां गठित की गई हैं। जो संरक्षण कार्यों में रही समस्याओं के निान में सहयोग करेंगी।
चिह्नित नदियों पर करें फोकस
आयुक्त ने चिह्वित की जा चुकी लुप्त होती नदियों पर फोकस करने को कहा। ताकि समिति के सहयोग से संसाधन उपलब्ध कराए जा सकें। उन्होंने कहा कि चाल-खाल बनाने से भूमिगत जल स्तर को बढ़ाया जा सकता है। इससे वन क्षेत्रों में नमी भी रहेगी। ग्रामीणों के सहयोग से पौधारोपण पर भी जोर दिया। इससे नदी पुनर्जनन में भी मदद मिलेगी। पिछले तीन दशक से कोसी समेत कुमाऊं की गैरहिमानी नदियों के संरक्षण को शेध अध्ययन में जुटे नेशनल जीयो स्पेशल चेयरप्रोफेसर (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) प्रो. जीवन रावत ने भौगोलिक सूचना विज्ञान तकनीक से नदियों को नवजीवन देने की युक्ति सुझाई।
मुहिम से जुड़े कार्यों की होगी जीआइएस मैङ्क्षपग
डीएम वंदना ङ्क्षसह ने कहा कि कोसी पुनर्जनन महाभियान से जुड़े सभी कार्यों की की जीआइएस मैङ्क्षपग की जा रही है। इस दौरान सीडीओ नवनीत पांडे आदि मौजूद रहे।