अल्मोड़ा में एसडीएम सीमा बनीं मिसाल, महामारी से जंग हारे लोगों का करा रहीं ससम्मान अंत्येष्टि
एसडीएम (सदर) सीमा विश्वकर्मा का जो गुमनाम फ्रंटलाइन कोरोना योद्धा के रूप में 12 तो कभी 16 घंटे से ज्यादा वक्त सेवा दे रहीं। दिनभर प्रशासनिक दायित्व निभाने के बाद वह महासंकट की इस घड़ी में कुछ समय अपनों को खो चुके लोगों के लिए निकाल रही हैं
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : महामारी की दूसरी लहर में चिकित्सक, नर्स व पुलिस कर्मी फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर्स जोखिम उठाकर संक्रमण से जंग लड़ समाजसेवा में जुटे हैं। मगर जिले की महिला पीसीएस अधिकारी की सेवा सबसे जुदा है। वह कोरोना से जंग हार चुके लोगों का ससम्मान अंत्येष्टि करा पुनीत कार्य के जरिये मिसाल पेश कर रहीं। खास बात कि इस पीसीएस के जज्बे को देख राजस्व टीम रात अधरात भी हाथ बंटा रही है।
यहां जिक्र हो रहा है एसडीएम (सदर) सीमा विश्वकर्मा का, जो गुमनाम फ्रंटलाइन कोरोना योद्धा के रूप में 12 तो कभी 16 घंटे से ज्यादा वक्त सेवा दे रहीं। दिनभर प्रशासनिक दायित्व निभाने के बाद वह महासंकट की इस घड़ी में कुछ समय अपनों को खो चुके लोगों के लिए निकाल रही हैं। हालांकि एसडीएम सीमा बीते वर्ष कोरोनाकाल से ही पर्दे के पीछे रहकर समाजसेवा में जुटी हैं। मगर अबकी घातक रूप ले चुकी दूसरी लहर में वह पूरी शिद्दत से जुटी हैं।
राजस्व कर्मियों को साथ लेकर वह 29 संक्रमितों की भैसोड़ा फार्म में बनाए गए शवदाह स्थल पर अंत्येष्टि करा चुकी हैं। एसडीएम (सदर) सीमा विश्वकर्मा कहती हैं इस कठिन घड़ी में जितना किया जाए कम है। महिला अधिकारी सीमा के साथ राजस्व कर्मियों की इस पुनीत पहल को खूब सराहा जा रहा है। इधर, एसडीएम सीमा की मानव सेवा से प्रेरित होकर कुछ लोगों ने निस्वार्थ भाव से कोरोना संक्रमितों के लिए बनाए गए अस्थायी शवदाह स्थल को जाने वाले मार्ग को व्यवस्थित कराने पर हामी भर दी है।
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें