मत्स्य उत्पादन में वृद्धि करने के ल‍िए भीमताल में जुटे देश भर के वैज्ञानिक और मत्स्य पालक

कुमाऊं आयुक्त ने बताया कि कोविड 19 के तहत प्रवासियों की आमदनी का मत्स्य पालन रोजगार हो सकता है। पर्वतीय क्षेत्रों में जहां नदी हैं वहां तो अतिरिक्त आमदनी का बेहतरीन विकल्प है मात्स्य पालन। नियोजित ढंंग से इसेे किया जाये तो खनन कोई खतरा नहीं है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 17 Mar 2021 04:11 PM (IST) Updated:Wed, 17 Mar 2021 04:11 PM (IST)
मत्स्य उत्पादन में वृद्धि करने के ल‍िए भीमताल में जुटे देश भर के वैज्ञानिक और मत्स्य पालक
आज के दौर में सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर कोई भी विकल्प रोजगार के लिये चुना जा सकता है।

जागरण संवाददाता, भीमताल : शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय में अनुसूचित जाति एवं जनजाति उपयोजना के अंतर्गत संपूर्ण उत्तराखंड के मत्स्य पालकों को प्रशिक्षण देने एवं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को पूर्ण करने के  उद्देश्य से दो दिवसीय किसान मेले एवं कृषक आरिएंटेशन कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ कुमाऊं आयुक्त अरविंद हयांकी, निदेशक आईसीएआर डीसीएफआर , डा ऐ के सिंह पूर्व निदेशक आईसीएआर डीसीएफआर , शमशीर भट्ट, निदेशक मात्स्यकी जम्मू और कशमीर, आर एस चौहान डीन कालेज आफ मात्स्यकी और निदेशक लेकर इंटरनेशनल स्कूल एस एस नेगी ने संयुक्त रूप से किया। कुमाऊं आयुक्त ने बताया कि कोविड 19 के तहत प्रवासियों की आमदनी का मत्स्य पालन रोजगार हो सकता है।बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में जहां नदी आदि हैं वहां तो अतिरिक्त आमदनी का बेहतरीन विकल्प है मात्स्यकी पालन।  कहा कि मत्स्य पालन के साथ नदी की सफाई आदि भी आवश्यक है। नियोजित ढ़ंग से इसको किया जाये तो मत्स्यकी पालन के लिये खनन कोई खतरा नहीं है।

निदेशक डीसीएफआर देवीजीत शर्मा ने निदेशालय स्तर में किये जा रहे कार्यो पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि निदेशालय परिसर में एक पुन: जल संचालन प्रणाली एक्वा सिस्टम का निर्माण किया गया है ताकि कम जगह से मत्स्य पालन मछली पालन कर अपनी आजीविका  चला सकें। उन्होंने बताया कि निदेशालय द्वारा रेनबो ट्राउट मछलियों के लिए आहार यहीं पर विकसित किया जा रहा है जिससे मत्स्य पालकों को काफी सुगमता से उ'च कोटि का मत्स्य आहार प्राप्त हो रहा है निदेशक लेक्स इंटरनेशनल एस एस नेगी ने बताया कि आज के दौर में सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर कोई भी विकल्प रोजगार के लिये चुना जा सकता है।

डायरेक्टर मात्स्यकी जम्मू कश्मीर ने अवगत कराया कि जम्मू कश्मीर मात्स्यकी पालन में पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर है वहीं उन्होंने सरकार के द्वारा वहां किये जा रहे कार्यो पर भी प्रकाश डाला। डीन कालेज और मात्स्यकी पंतनगर डा आर एस चौहान ने बताया कि कार्यशाला की सार्थकता उससे लाभ लेने वाले लोंगों की संख्या पर निर्भर करती है। उन्होंने मत्स्य पालकों से अधिक से अधिक लाभ लेने का आहवान किया। कुमाऊं आयुक्त ने निदेशालय परिसर में नव स्थापित लार्वा पालन की इकाई का तथा प्रदर्शनी स्थल का उद्घाटन किया।

दो दिवसीय कार्यशाला में सीआईटीएच मुक्तेश्वर वीपीकेएस अल्मोड़ा, आईवीआरआई मुक्तेश्वर ग्रोवल फील्ड प्राइवेट लिमिटेड आंध्र प्रदेश के वैज्ञानिकों ने प्रदर्शनी में भाग लिया। समारोह के अवसर पर संस्थान की वार्षिक पत्रिका हिंद ज्योति,विभिन्न भाषाओं के 6 पंपलेट का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम के अंत में निदेशालय द्वारा भाग लेने आए मत्स्य पालकों को प्रमाण पत्रों के साथ रेनबो ट्राउट मछली के बीज तथा अन्य उपकरण जाल हापा आदि भी वितरित किए। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के सभी 13 जिलों के 250 अनुसूचित जाति एवं जनजाति मत्स्य पालकों ने भाग लिया। कार्यशाला का संचालन हेमंत बिष्ट ने किया जब कि दो दिवसीय कार्यक्रम में डा आर एस पतियाल डा ए एन पांडे प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर सुरेश चंद्र डॉक्टर सुमन मल्लिका एवं डॉ आर एस हलदार समेत कई वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे हैं और मत्स्य पालकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं।

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