सेनिटोरियम अस्‍पताल की सड़क खस्ताहाल, मरीजों के लिए बनी आफत, दो दशक से नहीं हुआ डामरीकरण

टीबी हॉस्पिटल सेनिटोरियम के मुख्य गेट से अस्पताल को जाने वाली सड़क में पिछले 23 वर्षों से डामरीकरण का कार्य नहीं हुआ है। डामरीकरण न होने से सड़क धीरे-धीरे खस्ताहाल होती गई। और ने गड्ढो का रूप ले लिया। गड्ढे और उसमें मौजूद कंकड़-पत्थर इसे और खतरनाक बना देते है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 03:48 PM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 03:48 PM (IST)
सेनिटोरियम अस्‍पताल की सड़क खस्ताहाल, मरीजों के लिए बनी आफत, दो दशक से नहीं हुआ डामरीकरण
स्थानीय निवासियों व मरीजो को हो रही परेशानी शासन-प्रशासन की नज़र नहीं आती।

संवाद सहयोगी, भवाली : कभी एशिया में टीबी के इलाज के लिए प्रख्यात टीबी हॉस्पिटल सेनेटोरियम आज बदहाली की कगार पर है। आलम यह है कि अस्पताल के पास पक्की सड़क जैसी मूलभूत सुविधा तक नहीं है। जिससे देश के विभिन्न कोने से यहाँ इलाज के लिए पहुँचने वाले मरीजो को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है। लेकिन सरकार और प्रशासन इसकी अनदेखी कर रहा है।

नैनीताल रोड में स्थित टीबी हॉस्पिटल सेनिटोरियम के मुख्य गेट से अस्पताल को जाने वाली सड़क में पिछले 23 वर्षों से डामरीकरण का कार्य नहीं हुआ है। डामरीकरण न होने से सड़क धीरे-धीरे  खस्ताहाल होती गई। और ने गड्ढो का रूप ले लिया। सड़क पर पड़े गड्ढे और उसमें मौजूद कंकड़-पत्थर इसे और अधिक खतरनाक बना देते है। मार्ग को मार्ग पर आवाजाही इतनी खतरनाक है कि गड्ढो को बचाने में थोड़ी भी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। लोगो की माने तो कई बार शासन-प्रशासन स्तर पर सड़क पर डामरीकरण की मांग की जा चुकी है। लेकिन हमेशा नतीजा आश्वाशन ही रह।

वर्षों से स्थानीय लोग गड्ढों पर मिट्टी भरकर इसपर आवाजाही करने को मजबूर। कई बाइक सवार गिरकर चोटिल हो जाते है। वहीं चार पहिया वाहनों को भी भय के साए में चलना पड़ता है। लेकिन स्थानीय निवासियों व मरीजो को हो रही परेशानी शासन-प्रशासन को नज़र नहीं आती।

क्षेत्रीय सभासद ममता बिष्ट ने बताया कि 2019 में जिलाधिकारी को सड़क की खस्ता हालत को पत्र सौपा गया। कार्यवाही न होने पर जुलाई 2020 को पुनः जिलाधिकारी व लोनिवि को सड़क पर डामरीकरण के लिए पत्र लिखा। लेकिन आज तक सड़क पर डामरीकरण नहीं हुआ। जिससे अस्पताल में आने वाले मरीज व स्थानीय लोग जान जोखिम में डाल कर आवाजाही करने पर मजबूर हैं। 

सामाजिक कार्यकर्ता बृजमोहन जोशी  ने बताया कि 1997 में सड़क का निर्माण हुआ था। जिसके बाद से मार्ग के प्रति जनप्रतिनिधियों व शासन की उदासीनता ही नज़र आई। जिसका खामियाजा सेनेटोरियम में आने वाले मरीजो व स्थानीय लोग झेल रहे है। आए दिन अस्पताल में पहुँचने वाले मरीज सड़क की दुर्दशा से काफी परेशान नज़र आते है। वही उन्होंने किसी हादसे से पूर्व सड़क पर डामरीकरण की मांग की है।

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