Salt By Election : हार से हरीश रावत ही नहीं पार्टी की साख भी न बची, वजूद बचाने को जूझ रही कांग्रेस फिर गुटबाजी का शिकार
Salt By Election टिकट वितरण के बाद खाई पटने के बजाय और चौड़ी होती गई। चरम पर भीतरी घमासान व रणनीतिकारों में मनभेद का ही नतीजा रहा कि राजनीति के चतुर खिलाड़ी व सियासी माहौल को बदलने का माद्दा रखने वाले हरदा अपनी साख तक न बचा सके।
जागरण संवाददाता, भिकियासैंण (अल्मोड़ा) : Salt By Election : संकट के दौर से गुजर रही कांग्रेस एक बार फिर गुटबाजी का शिकार हो गई। 2022 के सेमीफाइल में विपक्ष खुद को एकजुट दिखाने की कोशिशें तो करता रहा, मगर अंदरूनी तौर पर कांग्रेसी खेमा बिखरा रहा। टिकट वितरण के बाद खाई पटने के बजाय और चौड़ी होती गई। आखिरी क्षण तक कांग्रेसी कुनबा एकजुट न होने सका। चरम पर भीतरी घमासान व रणनीतिकारों में मनभेद का ही नतीजा रहा कि राजनीति के चतुर खिलाड़ी व सियासी माहौल को बदलने का माद्दा रखने वाले हरदा इस सीट पर अपनी साख तक न बचा सके। कोरोना से जंग जीत प्रचार में कूदे हरदा अपनों की कारस्तनी से हार गए।
दरअसल, नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह आदि पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत के ब्लॉक प्रमुख पुत्र विक्रम सिंह रावत को मैदान में उतारने का मन बना चुके थे। इसके लिए बाकायदा कांग्रेस के इस खेमे ने केंद्रीय स्तर पर प्रयास भी तेज कर दिए थे। मगर पूर्व सीएम व राष्टï्रीय महासचिव हरीश रावत वर्ष 2017 में भाजपा के सुरेंद्र सिंह जीना को कड़ी टक्कर दे चुकी महिला प्रत्याशी गंगा पंचोली पर भरोसा जता चुके थे। टिकट वितरण में हरदा की मानी भी गई। उधर गंगा पंचोली का टिकट का फाइनल और इधर कांग्रेसी परिवार में एकजुटता के बजाय बिखराव शुरू हो गया।
प्रचार के बहाने सैर सपाटा
कांग्रेसी शीर्ष रणनीतिकार गांव गांव घर घर तक पहुंच बनाने के बजाय रामनगर व भतरौजखान के रिजॉर्ट में सिमटे रहे। इसका नुकसान पार्टी व प्रत्याशी को उठाना पड़ा।
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