Salt By Election : काम कर गया बंशीधर का फॉर्मूला और कौशिक की रणनीति

Salt By Election तजुर्बेदार बंशीधर भगत का जमीनी फॉर्मूला व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का चुनावी प्रबंधन और सटीक रणनीति सल्ट के उपुचनाव मील का पत्थर बन गई। संगठन के मुखिया रहते बंशीधर ने जीत का जो मंत्र दिया उस पर मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष कौशिक ने न केवल अमल किया।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 09:40 AM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 09:40 AM (IST)
Salt By Election : काम कर गया बंशीधर का फॉर्मूला और कौशिक की रणनीति
बंशीधर भगत राज्य के सभी जिलों के विधानसभा क्षेत्रों में बूथ जीता तो चुनाव जीता का फॉर्मूला दिया था।

जागरण संवाददाता, भिकियासैंण (अल्मोड़ा) : वोटों की बाजीगरी में भाजपा एक बार फिर इक्कीस साबित हुई। पुराने तजुर्बेदार बंशीधर भगत का जमीनी फॉर्मूला व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का चुनावी प्रबंधन और सटीक रणनीति सल्ट के उपुचनाव मील का पत्थर बन गई। संगठन के मुखिया रहते बंशीधर ने जीत का जो मंत्र दिया, उस पर मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष कौशिक ने न केवल अमल किया। बल्कि उसका बखूबी क्रियान्वयन कर पार्टी प्रत्याशी को उम्मीद से कहीं बेहतर अंतर से जिता ले गए। सियासी पंडितों की मानें तो पूरे चुनावी संग्राम में इन दो नेताओं के साथ ही कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्या व सबोध उनियाल के साथ राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. धन सिंह रावत की जुगलबंदी ने भी नैया पार लगाने में अहम रोल अदा किया।

प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर मिलने पर बीती जनवरी मध्य से ही बंशीधर भगत कार्यकर्ता संवाद के बहाने उपचुनाव की तैयारी में जुट गए थे।  उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन से पूर्व मार्च पहले पखवाड़ा तक बंशीधर भगत राज्य के सभी जिलों के विधानसभा क्षेत्रों में 'बूथ जीता तो चुनाव जीताÓ का फॉर्मूला पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को दे चुके थे। जीत का यह मंत्र कारगर भी रहा। उधर 13 मार्च को बंशीधर ने तीरथ सरकार में कैबिनेट मंत्री की शपथ ली और संगठन की कमान प्रदेश में सीएम के बाद दूसरा ओहदा रखने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक को मिली। खास बात कि कौशिक ने बंशीधर के जीत के मंत्र पर पूरा अमल कर उपचुनाव की वैतरणी पार करने के लिए बाकायदा बूथ स्तर तक क्रियान्वयन भी किया। नतीजा सामने है।

छोटे बड़े सभी को बूथों का जिम्मा

बंशीधर के 'बूथ जीता चुनाव जीताÓ के मूलमंत्र को आधार बना पूरी भाजपा कौशिक की अगुआई में एकजुट होकर चुनाव लड़ी। आम कार्यकर्ताओं के साथ प्रदेश स्तर के पदाधिकारी लगाए गए। त्रिवेंद्र सरकार में नियुक्त दर्जा राज्यमंत्रियों की छुट्टी से मायूस बैठे पदाधिकारियों को वापस बुलाकर उन्हें खास तवज्जो देकर बूथों पर बैठाया गया। परिणाम कार्यकर्ता मजबूत हुए। मजबूती से जुटे तो बूथ जीतते चले गए।

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