Salt By Election : ऐन चुनाव के वक्त पूर्व रणजीत रावत के वायरल वीडियो ने ठोंकी आखिरी कील

Salt By Election मतदान से ठीक पहले देघाट में सीएम तीरथ सिंह रावत जनसभा कर रहे थे। भीड़ अच्छी जुटी मगर दोपहर बाद हरीश रावत के कभी खास रहे रणजीत रावत का वीडियो वायरल हुआ तो संदेश कांग्रेस के खिलाफ ही चला गया।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 10:40 AM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 10:40 AM (IST)
Salt By Election : ऐन चुनाव के वक्त पूर्व रणजीत रावत के वायरल वीडियो ने ठोंकी आखिरी कील
रणजीत रावत की टिप्पणी वाला वीडियो इतनी तेजी से लोगों के बीच वायरल हुआ कि कांग्रेस का खेल बिगाड़ गया।

जागरण संवाददाता, भिकियासैंण (अल्मोड़ा) : Salt By Election : सत्तापक्ष के खिलाफ कांग्रेस के प्रचार अभियान को तब करारी चोट पहुंची, जब पूर्व सीएम हरदा के खास सिपहसलार रणजीत सिंह रावत का वीडियो वायरल हो गया। मतदान से ऐन दो दिन पूर्व हरदा के खिलाफ पूर्व विधायक रणजीत रावत की टिप्पणी वाला वीडियो इतनी तेजी से लोगों के बीच वायरल हुआ कि कांग्रेस का खेल बिगाड़ गया।

मतदान से ठीक दो दिन पहले यानी 17 अप्रैल को देघाट में सीएम तीरथ सिंह रावत जनसभा कर रहे थे। वहीं सल्ट क्षेत्र में पूर्व सीएम हरदा की जनसभा हुई। भीड़ अच्छी जुटी मगर दोपहर बाद हरीश रावत के कभी खास रहे रणजीत रावत का वीडियो वायरल हुआ तो संदेश कांग्रेस के खिलाफ ही चला गया। रही सही कसर कांग्रेस के प्रभावशाली धड़े ने रातों रात भाजपा खेमे को समर्थन देकर पूरी कर डाली। सियासी जानकार बताते हैं कि कांग्रेस में गुटबाजी तो थी ही, पूर्व सीएम हरीश रावत ने जिस महिला प्रत्याशी को टिकट दिलाया, उसे हराने के लिए भी कोई कसर नहीं छोड़ी गई।

हरदा न आते तो और बुरी होती गत

कोरोना को मात देकर हरदा दिल्ली से देहरादून फिर 17 अप्रैल को अखिरी चरण में सल्ट क्षेत्र में प्रचार अभियान में उतरे। इससे पूर्व उन्होंने दिल्ली के एक अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड से ही मार्मिक वीडियो भेज कांग्रेसियों से एकजुट होकर गंगा पंचोली को जिताने की अपील की। सल्ट के मतदाताओं को भी विकास के लिए गंगा को वोट देने की गुजारिश की। इस बीच कांग्रेस के रणनीतिकारों ने वह मेहनत नहीं की जिसकी दरकरार थी। चुनावी सभाओं में आक्रामकता भी कम ही दिखी।

पार्टी प्रत्याशी गंगा का काफिला अलग तो संगठन के पदाधिकारियों का तालमेल भी कम ही दिखा। बहरहाल, अंतिम चरण में हरदा मैदान में उतरे। बिखरे कुनबे को समेटने का प्रयास कर पार्टी के पक्ष में माहौल भी बनाया मगर काफी देर हो चुकी थी। सियासी जानकारों की मानें तो हरदा सल्ट नहीं पहुंचते तो कांग्रेस की हालत और खराब हो सकती थी।

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