सातवें वेतनमान की मांग को लेकर सैनिक कल्याण कर्मियों की बेमियादी हड़ताल शुरू

सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास संविदा कर्मियों ने बेमियादी हड़ताल शुरू कर दी है। कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से कामकाज ठप हो गया है। जिले भर से आने वाले पूर्व सैनिकों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 08:12 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 08:12 PM (IST)
सातवें वेतनमान की मांग को लेकर सैनिक कल्याण कर्मियों की बेमियादी हड़ताल शुरू
2018 से उनके बोनस का मामला लटका हुआ है।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : सातवें वेतनमान का लाभ दिए जाने की मांग को लेकर सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास संविदा कर्मियों ने बेमियादी हड़ताल शुरू कर दी है। कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से कामकाज ठप हो गया है। जिले भर से आने वाले पूर्व सैनिकों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। 

कार्य बहिष्कार कर रहे कर्मचारियों ने परिसर में धरना दिया। धरना स्थल पर हुई बैठक में कर्मचारियों ने कहा कि विभाग में तैनात अधिकारियों को सातवें वेतनमान का लाभ मिल रहा है, लेकिन संविदा पर रखे गए कर्मचारियों को इस लाभ से वंचित रखा गया है। 2018 से उनके बोनस का मामला लटका हुआ है। कर्मचारी उन्हें उपनल के बजाए विभागीय संविदा में लिए जाने की मांग भी लंबे समय से उठा रहे हैं, लेकिन इस मांग पर भी कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। यह स्थिति तब है जब कार्मिकों के वेतन का 75 प्रतिशत केंद्र सरकार और मात्र 25 प्रतिशत राज्य सरकार वहन कर रही है।

बुधवार को धारचूला, मुनस्यारी, डीडीहाट, गंगोलीहाट जैसी दूरस्थ तहसीलों से विभिन्न कार्यो को लेकर कार्यालय पहुंचे पूर्व सैनिकों को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा। कुमाऊं मंडल विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष रू द्र सिंह पंडा ने कहा कि कर्मचारियों की हड़ताल के चलते पूर्व सैनिक खासे परेशान हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि कर्मचारियों की मांगों को अविलंब पूरा किया जाए।

18 माह बाद खुले स्कूल के जर्जर कक्षों में बैठने को मजबूर हैं विद्यार्थी

पिथौरागढ़ : विकास खंड कनालीछीना के ख्वांकोट इंटर कालेज भवन की हालत दयनीय हो गई है। जर्जर हाल भवन आखिरी सांसे गिन रहा है। 18 माह बाद स्कूल पहुंचे विद्यार्थी जर्जर कक्षों में बैठने को लेकर सहमे हुए हैं। क्षेत्रवासियों ने अविलंब नया भवन बनाए जाने की मांग शिक्षा विभाग से की है।

कनालीछीना क्षेत्र के पुराने विद्यालयों एक ख्वांकोट का विद्यालय भवन करीब चार दशक पुराना है। टिन की बनी भवन की छत जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। बारिश का पानी सीधे कक्षाओं में आ रहा है। भवन की दीवारों पर लगा प्लास्टर झड़ चुका है। भवन धराशायी होने के कगार पर है। चार दर्जन से अधिक गांवों के बीच स्थित इस विद्यालय में सैकड़ों विद्यार्थी अध्यनरत हैं। भवन की जर्जर हालत को देख बड़े खतरे की आशंका क्षेत्रवासी जता रहे हैं। क्षेत्रवासी कई बार नया भवन बनाए जाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है। बताया गया है कि विद्यालय को दी गई भूमि अभी तक विद्यालय के नाम पर दर्ज नहीं हुई है, जिसके चलते नया भवन बनाने में अड़चन आ रही है। ग्रामीणों ने इस समस्या का हल निकालकर अविलंब नया विद्यालय भवन बनाए जाने की मांग शिक्षा विभाग से की है।

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