कोविड काल में वेतन नहीं देने के मामले में रोडवेज के एमडी 22 जून को हाईकोर्ट में तलब
रोडवेज कर्मचारियों को लॉकडाउन के दौरान का वेतन नहीं दिए जाने के खिलाफ़ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले में परिवहन निगम से 22 जून तक दुबारा शपथपत्र पेस करने को कहा है। साथ ही 23 जून को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिए हैं।
जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाईकोर्ट ने रोडवेज कर्मचारियों को लॉकडाउन के दौरान का वेतन नहीं दिए जाने के खिलाफ़ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले में परिवहन निगम से 22 जून तक दोबारा शपथपत्र पेश करने को कहा है। साथ ही निगम के प्रबंध निदेशक को वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से 23 जून को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिए हैं।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में रोडवेज कर्मचारी यूनियन की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया है कि निगम ने कर्मचारियों को कोविड लॉकडाउन के दौरान का वेतन नहीं दिया है। ना ही रिटायर कर्मचारियों को पेंशन व अन्य देयकों का भुगतान किया जा रहा है। सरकार परिसम्पत्तियों के बंटवारे के मामले में भी उदासीन है, जबकि यूपी परिवहन निगम के पास करोड़ो रुपये बकाया है।
हरिद्वार के झबरेड़ा में स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली पर विधायक, डीएम, सीएमओ को नोटिस
नैनीताल। उच्च न्यायालय ने झबरेड़ा के भक्तोंवाली गांव की बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने मामले में विधायक देशराज कर्णवाल, राज्य सरकार , जिलाधिकारी व सीएमओ हरिद्वार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में झबरेड़ा भक्तोंवाली गांव निवासी अभिषेक की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा है कि गांव में पीएचसी सेंटर है। उसकी हालत खराब है बदहाल स्वास्थ्य सेंटर के लिए अधिकारियों से मांग की तो कोई कार्रवाई नहीं हुई और स्थानीय विधायक भी पास के ही प्राइवेट अस्पताल को प्रमोट कर रहे हैं जबकि गरीब प्राइवेट अस्पताल में इलाज नहीं कर सकते। उनको 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। याचिका में कहा कि जब विधायक से अस्पताल में व्यवस्था ठीक करने की मांग की गई तो उन्हौने ग्रामीणों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवा दी है। याचिका में सरकारी अस्पताल में सभी सुविधा मुहैया कराने, विधायक द्वारा दर्ज शिकायत को निरस्त कर पूरे मामले की जांच की मांग की गई है।
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