पहाड़ के बंद रूटों पर समीक्षा के बाद होगा बसों का संचालन : आरएम

पहाड़ के जिन रूटों पर रोडवेज की सेवा कोरोनाकाल या उससे पहले बंद हो चुकी है ऐसे मार्गों की समीक्षा के बाद दोबारा बसों के संचालन का फैसला लिया जाएगा। बशर्ते बहुत ज्यादा घाटे का सौदा न हो।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 09:47 AM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 09:47 AM (IST)
पहाड़ के बंद रूटों पर समीक्षा के बाद होगा बसों का संचालन : आरएम
पहाड़ के बंद रूटों पर समीक्षा के बाद होगा बसों का संचालन : आरएम

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : पहाड़ के जिन रूटों पर रोडवेज की सेवा कोरोनाकाल या उससे पहले बंद हो चुकी है, ऐसे मार्गों की समीक्षा के बाद दोबारा बसों के संचालन का फैसला लिया जाएगा। बशर्ते बहुत ज्यादा घाटे का सौदा न हो। बुधवार को दैनिक जागरण प्रश्न पहर कार्यक्रम में मौजूद परिवहन निगम के मंडलीय महाप्रबंधक कुमाऊं यशपाल सिंह ने फोन पर मिली शिकायत के बाद कहा कि सभी चालक-परिचालकों को स्पष्ट निर्देश दिए जाएंगे कि हर स्टाप पर बसें रोकी जाएं। फिर भी लापरवाही बरतने पर कार्रवाई तय है।

फोन पर लोगों की समस्याएं सुनने के दौरान आरएम ने कहा कि सरकारी उपक्रम होने की वजह से यात्रियों को सुविधा देना पहला लक्ष्य है। इसलिए डिमांड के हिसाब से रूटों पर गाडिय़ों को भेजा जाता है। वहीं, ब्लॉक निवासी अभिजीत सरकार के सवाल पर आरएम ने कहा कि सीएमओ, समाज कल्याण विभाग या केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त अस्पताल से जारी दिव्यांग कार्ड के जरिये रोडवेज में निश्शुल्क यात्रा कराई जाती है।

दृष्टिबधित या दोनों पैर नहीं होने पर सहयोगी को भी उत्तराखंड रोडवेज की बस में बगैर टिकट सफर का नियम है। इसके अलावा तिकोनिया निवासी हेमंत गौनिया ने कहा कि हैड़ाखान, कोटाबाग व खनस्यू क्षेत्र में बसों का संचालन पुन: करवाना चाहिए। जिस पर आरएम ने बताया कि रूट समीक्षा के बाद यात्रियों की परेशानी को दूर किया जाएगा।

जल्द होगा भुगतान

काठगोदाम डिपो से सीनियर क्लर्क के पद से नवंबर 2016 में सेवानिवृत्त हुए हरीश चंद्र पांडे के दस माह का बकाया भुगतान अभी तक नहीं हुआ। जिसके बाद आरएम ने बताया कि कई कर्मचारियों के प्रस्ताव शासन से स्वीकृत हो चुके हैं। जल्द पैसा जारी हो जाएगा।

मृतक आश्रित कोटे से चाहिए नौकरी

दयाल सिंह बिष्ट ने समस्या बताते हुए कहा कि 2004 में पिता की मौत के बाद मृतक आश्रित कोटे के तहत बड़े भाई ने नौकरी के लिए आवेदन किया था। मगर नौकरी नहीं की। इसलिए नौकरी उन्हें दी जाए। आरएम ने आश्वासन देते हुए कहा कि दस्तावेज देने पर मुख्यालय से संस्तृति मांगी जाएगी।

पहाड़ पर ढाबों का अनुबंध नहीं

मैदान की तर्ज पर पर्वतीय रूटों पर भी ढाबों के अनुबंध के सवाल पर आरएम ने कहा कि वहां आदेश जारी करना संभव नहीं है। क्योंकि, होटल व ढाबे मुख्य मार्ग पर होते हैं और मैदानी ढाबों की तरह यहां पार्किंग की सुविधा नहीं होती। अगर एक रूट की सभी गाडिय़ां एक जगह रोके तो सड़क ही घिर जाएगी। हालांकि, इस बात की जरूर निगरानी होती है कि जिन ढाबों पर बस रूकती है वहां यात्रियों का उत्पीडऩ तो नहीं होता।

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