रेट मैनेजमेंट में उलझी खुशियों की सवारी, नतीजा सिफर

108 एबुलेंस सेवा ने तो काम करना शुरू कर दिया है मगर खुशियों की सवारी अब तक ट्रैक पर नहीं आ सकी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Apr 2019 07:15 AM (IST) Updated:Fri, 26 Apr 2019 07:15 AM (IST)
रेट मैनेजमेंट में उलझी खुशियों की सवारी, नतीजा सिफर
रेट मैनेजमेंट में उलझी खुशियों की सवारी, नतीजा सिफर

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : 108 एबुलेंस सेवा ने तो काम करना शुरू कर दिया है, मगर खुशियों की सवारी अब तक ट्रैक पर नहीं आ सकी है। देहरादून में बैठक पर बैठक करने के बाद भी नतीजा सिफर नजर आ रहा है। इतनी बड़ी व्यवस्था को अलग अंदाज में पटरी पर लाना सेहत महकमे के लिए टेढ़ी खीर बनती जा रही है। मामला अभी भी रेट मैनेजमेंट को लेकर उलझा हुआ है। ड्राइवर के मानदेय से लेकर वाहन के तेल खर्च पर मुहर नहीं लग सकी है। वहीं खुशियों की सवारी न चलने से मरीजों की दिक्कतें बढ़ने लगी हैं। ड्राइवरों के मानदेय पर चर्चा

देहरादून में आयोजित बैठक में सरकारी ड्राइवरों के साथ पीआरडी जवानों के मानदेय पर विचार किया जा रहा है। वर्दी के साथ ही वाहन से ले जाने के खर्च तक पर चर्चा की गई, मगर अब तक कोई हल नहीं निकल सका है। तीन दिन और चलेगी बैठक

देहरादून में आयोजित बैठक अभी तीन दिन और चलेगी। उसके बाद ही कोई हल निकल सकेगा। फिलहाल अभी अधिकारी रेट मैनेजमेंट में उलझे हुए हैं। रेट तय होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

प्रसूताओं के लिए बढ़ा संघर्ष

हल्द्वानी में रोजाना कम से कम 15 से 16 प्रसूताओं की डिलीवरी होती है। ऐसे में गरीब परिवारों के लिए निजी वाहन हायर करना काफी मुश्किल हो रहा है। अगर जल्द ही इस खुशियों की सवारी को लेकर चल हरी दुविधा का हल नहीं निकला तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 13 प्रसूता लौटीं निजी वाहन से

महिला अस्पताल में मौजूदा समय में 24 महिलाएं प्रसव पीड़ा से भर्ती हैं, जबकि बुधवार सुबह तक 13 प्रसूताओं को वाहन ढूंढे नहीं मिल रहे थे। ऐसे में लोगों को जेब ढीली कर मजबूरी में निजी वाहन से जाना पड़ा।

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