नाजुक दौर से गुजर रहे पड़ोसी देश नेपाल को लेकर क्‍या कहते हैं रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल भंडारी, जानिए

पड़ोसी देश नेपाल नाजुक दौर से गुजर रहा है। चीन के बेवजह बढ़ते हस्तक्षेप के बीच नेपाल की बड़ी आबादी भारत के साथ रोटी बेटी के रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाने की पक्षधर है मगर काठमांडू के इलाके में भारत विरोधी आबादी है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 19 Jan 2021 08:18 AM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 08:18 AM (IST)
नाजुक दौर से गुजर रहे पड़ोसी देश नेपाल को लेकर क्‍या कहते हैं रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल भंडारी, जानिए
नाजुक दौर से गुजर रहे पड़ोसी देश नेपाल को लेकर क्‍या कहते हैं रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल भंडारी, जानिए

नैनीताल, जागरण संवाददाता : पड़ोसी देश नेपाल नाजुक दौर से गुजर रहा है। चीन के बेवजह बढ़ते हस्तक्षेप के बीच नेपाल की बड़ी आबादी भारत के साथ रोटी बेटी के रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाने की पक्षधर है, मगर काठमांडू के इलाके में भारत विरोधी आबादी है। नेपाल पड़ोसी होने के साथ ही भारत के लिए सामरिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। वर्तमान परिस्थितियों में नेपाल को भारत की भरपूर मदद की जरूरत है। यह कहना है 

विदेश मामलों के विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहन चंद्र भंडारी का। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के बाद भी नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने  संसद को भंग कर दिया। जबकि चीन चाहता था कि ओली बने और प्रचंड के साथ समझौता हो जाय। भारत के लिए ओली के साथ ही कम्युनिस्ट पार्टी के मुखिया प्रचंड भरोसे लायक नहीं हैं। ओली और प्रचंड के बीच बढ़ते झगड़े व राजनीतिक अस्थिरता की वजह से नेपाल की बड़ी आबादी राजशाही की मांग को लेकर सड़क पर उतर चुकी है। 

लेफ्टिनेंट जनरल (से) भंडारी का कहना है नेपाल बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है। सामरिक रूप से बेहद भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण नेपाल को अभी भारत की मदद की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि राजनीतिक अस्थिरता तथा कोरोना महामारी की वजह से नेपाल की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है। नेपाल में भुखमरी के हालत पैदा हो रहे हैं। नौजवान बेरोजगार हैं, तो उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी भारत विरोध की घुट्टी पिलाकर गुमराह कर रही है। नेपाल में काठमांडू के इलाके की आबादी हमेशा से भारत विरोधी रही है। आजादी के बाद इस क्षेत्र के लोगों ने भारत में विलय की पेशकश की थी मगर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसे ठुकरा दिया था। तब से यह इलाका भारत विरोधी मानसिकता वाला है। 

कम्युनिस्ट पार्टी इसी भारत विरोध को हवा दे रही है जबकि नेपाल की तीन चौथाई आबादी भारत के साथ रोटी बेटी के रिश्ते को और प्रगाढ़ बनाना चाहती है। नेपाल सांस्कृतिक व सामाजिक रूप से भी भारत के करीब है। लेफ्टिनेंट जनरल भंडारी के अनुसार पश्चिम व उत्तर पूर्व नेपाल की आबादी भारत को ही अपना सबकुछ मानती है। 

भारत को अभी बहुत संभलकर कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि हर हाथ में नेपाल की मदद जरूरी है। चीन हमेशा चाहता है कि नेपाल में अस्थिरता हो और उसका फायदा उठाया जाए। चीन नेपाल के 1200 वर्ग किलोमीटर इलाके में अवैध रूप से घुस चुका है। चीन विस्तारवादी नीतियों की वजह से दक्षिण एशिया के साथ ही पूरी वैश्विक बिरादरी के लिए खतरा बना है।

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