Remdesivir Injection : उत्तराखंड में खत्म हुई रैमडेसिविर दवा, भटकने को मजबूर तीमारदार

Remdesivir Injection दवा का उपयोग के साथ ही दुरुपयोग भी बढ़ गया था। मनमर्जी से दवा इस्तेमाल होने लगी। दवा को कई गुना अधिक दाम में बेचा जाने लगा। बाद में ड्रग इंस्पेक्टर ने दवाइयां पर निगरानी शुरू कर दी।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 05:50 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 05:50 PM (IST)
Remdesivir Injection : उत्तराखंड में खत्म हुई रैमडेसिविर दवा, भटकने को मजबूर तीमारदार
16 अप्रैल को दवा पूरी तरह खत्म हो गई।

हल्द्वानी से गणेश जोशी। Remdesivir Injection : कोरोना चरम पर है। मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। अस्पताल मरीजों से पट गए हैं। ऐसे में गंभीर मरीजों के इलाज के लिए रैमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत पड़ रही है, लेकिन यह दवा पूरे उत्तराखंड में नहीं है। ऐसे में तीमारदार दवा के इंतजाम के लिए भटकने को मजबूर हैं।

दरअसल, इस दवा का उपयोग के साथ ही दुरुपयोग भी बढ़ गया था। मनमर्जी से दवा इस्तेमाल होने लगी। दवा को कई गुना अधिक दाम में बेचा जाने लगा। बाद में ड्रग इंस्पेक्टर ने दवाइयां पर निगरानी शुरू कर दी। दवाइयों को निर्धारित दाम पर बेचने के साथ ही अस्पतालों में ही उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। हल्द्वानी में एक होसेल विक्रेता के पास यह दवा उपलब्ध थी।

वहीं से पूरे कुमाऊं में दवा की आपूर्ति हो रही थी। अब इसकी आपूर्ति ड्रग इंस्पेक्टर मीनाक्षी बिष्ट की निगरानी में होने लगी है, लेकिन 16 अप्रैल को दवा पूरी तरह खत्म हो गई। यह एक एंटी-वायरल दवाई है। वहीं इस समय शहर के सरकारी व निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित 70 से अधिक मरीज गंभीर हालत में हैं। 

केस एक - नैनीताल निवासी 45 वर्षीय कोरोना मरीज पहले निजी अस्पताल में भर्ती था। फिर एसटीएच रेफर कर दिया। मरीज की हालत गंभीर है। डाक्टर ने रैमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत बताई। स्वजन दिन भर भटकते रहे। तब मुश्किल से एक वॉयल दवा मिल सकी।

केस दो- लालकुआं एक मरीज शहर के निजी अस्पताल में है। कोरोना संक्रमित है। हालत गंभीर है। डाक्टर इस मरीज को भी रैमडेसिविर दवा लिखी, लेकिन स्वजन इंतजाम करते हुए परेशान हो गए। हर स्तर पर कोशिश की। बाद में रुद्रपुर के एक अस्पताल में एक वॉयल मिली।

सरकारी डाक्टर बाहर से दवा लिखने को तैयार नहीं 

एसटीएच में रैमडेसिविर दवा नहीं है। अस्पताल में गंभीर मरीज भर्ती हैं। जिन्हें इस तरह की दवा की लगातार जरूरत पड़ रही है, लेकिन डाक्टर बाहर से दवा लाने के लिए पर्ची पर प्रिस्क्रिप्शन मांग रहे हैं। पर नियम का हवाला देकर कोई लिखने को तैयार नहीं है।

15 हजार तक वसूले जाने लगे थे दाम

चार हजार रुपये से भी कम कीमत की दवा है। इस दवा की ब्लैक मार्केटिंग शुरू हो गई थी। 10 से 15 हजार रुपये वसूले जाने लगे थे। 

ड्रग इंस्पेक्टर डा.मीनाक्षी बिष्ट ने बताया कि दवा का दुरुप्रयोग न हो और वास्तविक मरीजों को ही दवा उपलब्ध हो सके। इसलिए निगरानी की जा रही है। फिलहाल दवा उपलब्ध नहीं है। एक-दो दिन में दवा के आने की संभावना है।

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