कोरोना के हल्का पड़ने से उछला रीयल इस्टेट, व्यापार के रफ्तार पकडऩे से कारोबारी खुश
कोरोना संक्रमण की लहर कमजोर हुई तो उद्योग धंधे पटरी पर आने लगे। खासकर रीयल इस्टेट में काफी बूम आया है। इसकी वजह बताया जा रहा है कि यूएस नगर में काफी उद्योग संचालित हैं। कंपनियों में नौकरी करने और छोटे उद्योग से आमदनी बढ़ी है।
अरविंद कुमार सिंह, रुद्रपुर। कोरोना काल की लहर हल्की पड़ी तो रीयल इस्टेट के कारोबार में उछाल आ गया है। इससे सरकार के राजस्व में इजाफा हुआ है तो कारोबारियों के चेहरे पर खुशी दिखने लगी है। इसकी वजह विभिन्न कारोबार में सुधार आया तो आय भी बढ़ी। कुछ लोग रीयल इस्टेट में भी रुपये लगा रहे हैं। बताया जा रहा है कि कुछ दिन में कारोबार में और बूम आने की उम्मीद है।
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए देश में पिछले साल मार्च के तीसरे सप्ताह में लॉकडाउन लगा दिया गया था। थोड़ी स्थिति सामान्य हुई तो उद्योग धंधे में भी सुधार आने लगा था। इस साल अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर से हालत खराब हो गई थी। कोरोना से बचाव के लिए लोग घरों में कैद हो गए थे। हालांकि कंपनियां चलती रहीं, मगर जारी एसओपी के हिसाब से। इस दौरान उद्योग धंधे चौपट हो गए थे। कोरोना संक्रमण की लहर कमजोर हुई तो उद्योग धंधे पटरी पर आने लगे। खासकर रीयल इस्टेट में काफी बूम आया है। इसकी वजह बताया जा रहा है कि यूएस नगर में काफी उद्योग संचालित हैं। खुद के छोटे उद्योग व कंपनियों में नौकरी करने और अप्रत्यक्ष रूप से छोटे-छोटे उद्योग धंधे करने से आमदनी बढ़ी है। आय बढऩे पर काफी लोग रीयल इस्टेट में निवेश करने लगे। रीयल इस्टेट में निवेश के प्रति विश्वास बढ़ा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में विकास प्राधिकरण का दखल भी खत्म हो गया है। रजिस्ट्री में पांच फीसद स्टांप शुल्क जमा करना पड़ता है। यदि महिला दो बार रजिस्ट्री कराती है तो उन्हें सवा फीसद स्टांप शुल्क में छूट मिलती है। यदि सैनिक चाहे जितनी भी बार प्लाट, मकान की रजिस्ट्री कराए, उन्हें भी सवा फीसद की छूट मिलती है। जबकि अन्य लोगों को पूरा स्टांप शुल्क जमा करना पड़ता है। सहायक महानिरीक्षक निबंधन कार्यालय यूएस नगर के मुताबिक पिछले साल अप्रैल से जून तक कुल 3710 रजिस्ट्री हुई थीं, जो इस बार इतने ही महीनों में 6460 रजिस्ट्री की गई। पिछले साल रजिस्ट्री से महानिबंधक कार्यालय को 176051189 रुपये और इस बार 382617407 रुपये स्टांप शुल्क में मिले हैं। सबसे अधिक रजिस्ट्री काशीपुर में 1592 में हुई हैं, जबकि सबसे कम किच्छा में 556 रजिस्ट्री हुई है।
सहायक महानिरीक्षक निबंधन मुख्य निबंधक सच्चिदानंद त्रिपाठी का कहना हैै कि कोरोना संक्रमण की लहर कमजोर होने से लोगों की आमदनी बढ़ी है। इससे लोग प्लाट व मकान खरीद रहे हैं।
इतनी हुई रजिस्ट्री
स्थान अप्रैल से जून 2020 तक अप्रैल से जून, 2021
किच्छा 326 556
काशीपुर 980 1592
बाजपुर 622 1093
सितारगंज 616 817
जसपुर 470 811
रुद्रपुर 696 1591