आम के विदा होते सीजन में पहाड़ से आई कच्‍चे आमों की खेप, नहीं पड़ा हो घर में अचार तो पहुंचे मंडी

आम का सीजन विदा हो रहा है। पके आम के ठेले अब बाजारों में कम ही दिखते हैं तो आमों का राजा दशहरी बाजार से पूरी तरह गायब हो गया है। ऐसे में कहा जाए कि बाजार में कच्‍चे आम की बड़ी खेप आई है तो आप चौंकेंगे।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 12:36 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 12:36 PM (IST)
आम के विदा होते सीजन में पहाड़ से आई कच्‍चे आमों की खेप, नहीं पड़ा हो घर में अचार तो पहुंचे मंडी
आम के विदा होते सीजन में पहाड़ से आई कच्‍चे आमों की खेप

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : आम का सीजन विदा हो रहा है। पके आम के ठेले अब बाजारों में कम ही दिखते हैं, तो आमों का राजा दशहरी बाजार से पूरी तरह गायब हो गया है। ऐसे में कहा जाए कि बाजार में कच्‍चे आम की बड़ी खेप आई है तो आप चौंकेंगे। पर इसमें चकित होने की कोई बात नहीं है। हल्‍द्वानी की मंडी में पहाड़ से कच्‍चे आम बड़ी मात्रा में आए हैं। ऐसे में अगर सीजन में आपके घर में आम का अचार नहीं पड़ सका है तो आपके पास मौका है।

अचार, चटनी आदि के लिए उपयुक्त कच्चा आम इन दिनों बागेश्वर, रानीखेत व नैनीताल के बेतालघाट से मंडी में पहुंच रहा है। इसके अतिरिक्त विभिन्न वेरायटी के पके पहाड़ी आम का स्वाद भी लिया जा सकता है। जिसे बड़ी मात्रा में बागवान तोड़कर नियमित रूप से मंडी भेज रहे हैं। मंडी में आने के बाद इस आम की खरीद भी बड़े स्तर पर हो रही है। मौसम व अन्य वजहों से अचार नहीं बना सकने वाले लोग इसका प्रयोग कर रहे हैं। जिसे मंगलपड़ाव सब्जी मंडी व अन्य बाजारों से खरीदा जा सकता है। आलू-फल आढ़ती एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष जीवन सिंह कार्की ने बताया कि आम की गुणवत्ता बेहतर है। जिससे लोग इसे पसंद कर रहे हैं।

10 से 12 रुपये प्रति किलो भाव

हल्द्वानी मंडी में बिक रहा पहाड़ के कच्चे आम का भाव भी बेहद कम है। जिसे थोक रेट में 10 से 12 रुपये प्रति किलोग्राम तथा खुदरा मूल्य 20 रुपये तक खरीदा जा सकता है।

रेशेदार अचार का स्वाद

पहाड़ी क्षेत्रों से आने वाला आम रेशेदार है। जिसके चलते इसका अचार अच्छा माना जाता है। अचार व खटाई के लिए रेशेदार फल का मांग ज्यादा होती है। ऐसे में पके फल के मुकाबले इसका कच्चा प्रयोग ज्यादा होता है।

एक माह लेट है पहाड़ का आम

पहाड़ी क्षेत्रों में आम का मौसम करीब एक माह तक लेट रहता है। जब मैदानी क्षेत्रों में आम खत्म हो जाता है, इसके करीब एक से डेढ़ माह बाद तक बागेश्वर, रानीखेत, अल्मोड़ा आदि क्षेत्रों में आम का स्वाद मिलता है।

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