कोरोना के मरीजों के तीमारदार बने रवींद्र, मरीजों के डायपर तक बदलने में नहीं झिझके

पिथौरागढ़ जिले में जब कोरोना का पहला मामला सामने आया तो आइसोलेशन वार्ड में नया अनुभव होने के कारण स्वास्थ्य कर्मियों के लिए ड्यूटी करना किसी चुनौती से कम नहीं था। इस नई तरह की बीमारी में मरीजों के साथ कोई तीमारदार भी नहीं होते थे।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 10:15 AM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 10:15 AM (IST)
कोरोना के मरीजों के तीमारदार बने रवींद्र, मरीजों के डायपर तक बदलने में नहीं झिझके
कोरोना के मरीजों के तीमारदार बने रवींद्र, मरीजों के डायपर तक बदलने में नहीं झिझके

पिथौरागढ़, विजय उप्रेती : पिथौरागढ़ जिले में जब कोरोना का पहला मामला सामने आया, तो आइसोलेशन वार्ड में नया अनुभव होने के कारण स्वास्थ्य कर्मियों के लिए ड्यूटी करना किसी चुनौती से कम नहीं था। इस नई तरह की बीमारी में मरीजों के साथ कोई तीमारदार भी नहीं होते थे। ऐसे में कई बुजुर्ग व असहाय कोरोना संक्रमित मरीजों के तीमारदार बने रवींद्र वल्दिया। बुजुर्ग मरीजों के डायपर तक बदलने में कभी संकोच नहीं किया। रवींद्र ने महज नौकरी नहीं की। सेवा की...वो भी शिद्दत से। इस कदर अपनेपन से मरीजों की आंखें छलक उठतीं।

विगत वर्ष कोरोना काल में रवींद्र वल्दिया की आउटसोर्स के तहत स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्ति हुई थी। 21 मई को सबसे पहले उनकी तैनाती आइसोलेशन वार्ड में हुई। आइसोलेशन वार्ड में कोरोना के मरीजों के साथ यह उनका पहला और नया अनुभव था। उन्होंने इस चुनौती का बखूबी निर्वहन किया। मरीजों के साथ वह बेहद शालीनता से पेश आते थे। मरीज का हर समय हौसला बढ़ाते रहते थे। ड्यूटी के दौरान रवींद्र को कुछ कोरोना के मरीज ऐसे भी मिले, जिनको उन्हें डायपर भी पहनाना पड़ा। हीटर खराब होने पर अपने कमरे का हीटर मरीज को दिया। मरीज का खाना उसके बिस्तर तक पहुंचाया। 

मरीज की इच्छा पर अपनी जेब से उसकी पसंद की चीज बाजार से मंगवा कर उस तक पहुंचाई। यहां तक कि रेफर मरीज को हल्द्वानी पहुंचाने के दौरान रास्ते में भूखे पेट रहना पड़ा और रात भी एंबुलेंस में ही गुजारनी पड़ी। इस तरह से रवींद्र ने मई से दिसंबर तक सर्वाधिक चार बार आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी कर सच्चे अर्थों में कोरोना योद्धा का असली फर्ज निभाया। रवींद्र ने बताया कि शुरुआत में ड्यूटी करने में थोड़ी घबराहट हुई। आइसोलेशन वार्ड में दस दिन ड्यूटी करने के बाद दस दिन अकेले सेल्फ क्वारंटाइन में रहने में तनाव रहता था। आदत होने पर अब न कोई डर और न परेशानी।

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