पूर्व सीएम हरदा के बेहद करीबी रहे रणजीत अब उतने ही दूर, संजय नेगी दे रहे चुनौती

वर्तमान में संजय नेगी को हरीश रावत का समर्थक माना जाता है। इसकी बानगी सितंबर पहले सप्ताह में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दिन भी दिख गई। जब यात्रा रामनगर में पहुंची तो मनभेद खुलकर फिर से सबकी निगाहों में आ गए।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 06:42 AM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 06:42 AM (IST)
पूर्व सीएम हरदा के बेहद करीबी रहे रणजीत अब उतने ही दूर, संजय नेगी दे रहे चुनौती
रामनगर सीट पर रणजीत सिंह रावत की निगाह है। यही सीट उनके लिए गुटबाजी का रण बनी हुई है।

गणेश जोशी, हल्द्वानी। सत्ता में वापसी के लिए परिवर्तन की राह पर निकली कांग्रेस में गुटबाजी अब भी थमी नहीं है। पार्टी हाईकमान ने वरिष्ठ नेताओं के बीच समन्वय बनाने, मनभेद खत्म करने और 2022 में सत्ता में वापसी के लिए पांच कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष तक बना डाले। फिर भी हकीकत यह है कि स्थिति बहुत बदली नहीं है। रामनगर सीट पर कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत की निगाह है। बावजूद इसके यही सीट उनके लिए गुटबाजी का रण बनी हुई है। 

कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत को अपने ही क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती पूर्व ब्लाक प्रमुख संजय नेगी से मिल रही है। इसके पीछे कई कारण भी हंै। एक समय था जब हरीश रावत सीएम हुआ करते थे। तब दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री रहे रणजीत को हरदा का सबसे करीबी होने के चलते मिनी सीएम भी कहा जाने लगा था। कांग्रेस ने सत्ता गंवाई और हरदा भी दोनों सीटों से चुनाव हार गए। इसके बाद पुराने अंदरूनी मामले ऐसे निकलते गए कि दोनों के बीच दूरियां भी सबसे अधिक हो गई। समर्थक भी बंट गए। हरदा इशारों में तो रणजीत खुलकर एक दूसरे के खिलाफ खड़े दिखाई दिए। 

वर्तमान में संजय नेगी को हरीश रावत का समर्थक माना जाता है। हरदा का हाथ संजय के साथ दिखता भी है। इसकी बानगी सितंबर पहले सप्ताह में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दिन भी दिख गई। जब यात्रा रामनगर में पहुंची तो मनभेद खुलकर फिर से सबकी निगाहों में आ गए। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने रणजीत की जिप्सी में सवार होकर रैली निकाली और हरीश रावत ने संजय नेगी की जिप्सी में सवार होकर दूसरे रास्ते से ही रैली निकाल ली। हालांकि यह तो पहले ही स्पष्ट था कि रणजीत व संजय नेगी की राहें अलग-अलग हैं। लेकिन वरिष्ठ नेताओं के साथ ने यह भी जता दिया कि कौन किस गुट में है।

इतना ही नहीं, संजय नेगी की इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट भी चर्चा का विषय बनी रहती है। वह हरीश रावत के समर्थन में और रणजीत पर कमेंट करते हुए पोस्ट डालते रहते हैं। ऐसी विषम राजनीतिक परिस्थितियों के बीच जब कांग्रेस ने रणजीत का कद बढ़ा किया है, तब भी उनकी रामनगर से विधानसभा चुनाव जीतने की राह आसान नजर नहीं आ रही। इस स्थिति का भाजपा कितना लाभ उठाएगी देखना होगा। 

रणजीत रावत का कहना है कि जब देश की आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी। तब भी 60 फीसद लोग विरोध में थे। हमें आजादी मिली। 100 फीसद तो कहीं कुछ नहीं होता है। वैसे भी हम 33 प्रतिशत में बच्चे को पास करते हैं। फस्र्ट डिविजन वाला भी 40 फीसद कोर्स पूरा नहीं करता है। लोकतंत्र की खूबी है। अगर ये सब नहीं होगा तो मजा भी क्या आएगा।

वहीं पूर्व ब्लाक प्रमुख संजय नेगी ने बताया कि रामनगर में रणजीत रावत खुद को वन मैन शो साबित करना चाहते हैं। इसकी वजह से पुराने कांग्रेसी घरों पर बैठे हैं। रामनगर में बहुत अच्छी स्थिति नहीं है। परिवर्तन रैली में भी मुझे कार्यक्रम नहीं करने दिया गया। उसमें विघ्न डाला गया। विधानसभा चुनाव में इस सीट से मैंने भी दावेदारी की है।

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