उस दौर में ताे जैसे रामनगर में था रामराज्य, दुकानों में ताला तक नहीं लगाते थे व्यवसायी, 1953 में पड़ी थी बैंक में डकैती

तत्कालीन कुमाऊँ कमिश्नर हेनरी रैमजे के बसाए रामनगर में उस दौर में वास्तव में रामराज्य था। चोरी-चकारी और हत्या-लूट पाट की तो बात ही छोड़ दीजिए लोग दुकानों और घरों में ताले तक नहीं लगाया करते थे। सब अमन चैन की ज़िंदगी गुजर बसर किया करते थे।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 27 Dec 2020 08:59 AM (IST) Updated:Sun, 27 Dec 2020 08:59 AM (IST)
उस दौर में ताे जैसे रामनगर में था रामराज्य, दुकानों में ताला तक नहीं लगाते थे व्यवसायी, 1953 में पड़ी थी बैंक में डकैती
उस दौर में ताे जैसे रामनगर में था रामराज्य, दुकानों में ताला तक नहीं लगाते थे व्यवसायी

रामनगर, जेएनएन : तत्कालीन कुमाऊँ कमिश्नर हेनरी रैमजे के बसाए रामनगर में उस दौर में वास्तव में रामराज्य था। चोरी-चकारी और हत्या-लूट पाट की तो बात ही छोड़ दीजिए लोग दुकानों और घरों में ताले तक नहीं लगाया करते थे। सब अमन चैन की ज़िंदगी गुजर बसर किया करते थे। दुकानों में केवल बॉस की खपच्चियां लगा कर लोग घरों को चले जाया करते थे। जब दुकान में बॉस की खपच्चियां लग जाती तो समझ लो दुकान बंद। लाला जी या तो घर से बाहर हैं या खाना खाने गए हैं। रामनगर में पहली डकैती 1953 में पड़ी थी। जिसकी चर्चा देशभर में हुई थी।

अपराध के लिहाज से उत्तराखंड शुरुआत से ही शांत प्रदेश रहा है। पहले तो पहाड़ पर यदा कदा ही आपराधिक घटनाएं सुनाईं देतीं थी। वहीं नैनीताल जिले का रामनगर तो बहुत ही शांत और अपराधमुक्त इलाका था। 1850 से 1953 तक यहां कोई आपराधिक वारदात शायद दही हुई हाे। लोगों का जीवन सुकून भरा जीवन था। उस दौर को पुराने लोग आज भी नहीं भूलते। कारोबार हो या भाईचारा इस मामले में पूरा शहर रामराज्य के लिए जाना जाता था। गर्मियों के दौरान रात को लोग सड़कों पर चारपाई डाल कर सो जाया करते थे और देर रात तक हुक्का गुड़गुड़ाने के साथ किस्से कहानी सुनाने में मगन रहते थे। लेकिन शहर का विकास होने और आबादी बढ़ने के साथ ही अपराध भी बढ़ने लगा।

पहली बार बैंक में पड़ी थी डकैती

रामराज्य वाले इस शहर में 1953 में उस समय हड़कम्प मच गया जब शहर के एकमात्र बैंक में डकैती पड़ गयी थी। उस समय शहर की आबादी मुश्किल 10 से 12 हजार रही होगी। बुजुर्ग बताते हैं शाम पांच बजे के आसपास पोस्ट आॅफिस के पास जसपुर से गुड़ लेकर आने वाली दो बैलगाड़ियों में रखे पुराल पर डकैतों ने आग लगा दी। सारा शहर आग देखने के लिए उमड़ पड़ा। उस समय पुलिस की वर्दी पहने पाँच-छह डकैतों में से तीन डकैत जसपुरिया लाइन स्थित बैंक के सामने रेकी करने लगे। दो डकैत दोमंजिले बैंक में चले गए। बैंक की तीसरी मंजिल पर मैनेजर रहते थे। डकैतों ने उनसे बंदूक की नोक पर तिजोरी से करीब चार लाख रुपये ओर जेवर लूटकर फरार हो गए।

व्यवसायियों के वापस किए गए थे रुपए

उस समय पुलिस कर्मियों की संख्या भी नाम मात्र की थी। हालांकि अगले दिन मुख्यालय नैनीताल से आये बैंक अधिकारियों ने व्यापारियों को भरोसा दिलाया कि सबका पैसा चुका दिया जाएगा। हुआ भी यही। सभी ग्राहकों का पैसा बैंक द्वारा लौटा दिया गया। लोग बताते है कि उस समय बैंक और तिजोरी की चाबी अपने पास रखने पर बैंक मेनेजर को अपनी नौकरी गवानी पड़ी थी। उस डकैती के बाद नैनीताल बैंक की टनकपुर शाखा को सुरक्षा के लिहाज से तत्काल बन्द कर दिया गया था। जिसे बाद में पुनः खोला गया।

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