उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र के रामायण वाटिका में धार्मिक महत्व के फल भी होंगे

मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्रीराम के मंदिर का आज अयोध्या में शिलान्यास होगा। उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र ने रामायण से जुड़ी वनस्पतियों के संरक्षण की दिशा में एक कदम और बढ़ाया है।

By Edited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 05:34 AM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 11:09 AM (IST)
उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र के रामायण वाटिका में धार्मिक महत्व के फल भी होंगे
उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र के रामायण वाटिका में धार्मिक महत्व के फल भी होंगे

हल्द्वानी, जेएनएन : मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्रीराम के मंदिर का आज अयोध्या में शिलान्यास होगा। उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र ने भी भगवान राम व रामायण से जुड़ी वनस्पतियों के संरक्षण की दिशा में एक कदम और बढ़ाया है। पहले वाटिका तैयार कर रामायण काल में मिलने वाली 25 प्रजातियों को संरक्षित किया गया। अब चार प्रजाति के पौधे भी लगाए गए हैं। पौधे कोई आम नहीं बल्कि रामफल, सीताफल, लक्ष्मण व हनुमान फल है। अब फलों की प्रतीक्षा में इनकी पूरी देखरेख की जा रही है।

वाल्मीकि रामायण में उस काल की वनस्पतियों का विस्तृत विवरण है। बारीकी से अध्ययन करने के बाद वन अनुसंधान केंद्र ने पिछले महीने एफटीआइ परिसर में रामायण वाटिका का निर्माण कर प्रजातियों का रोपण किया था। रक्तचंदन समेत कुछ अन्य प्रजातियों को बाहर से लाया गया था। जिसके बाद रामायण से जुड़े चार फलों को लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई। इसमें सीताफल को सामान्य फल माना जाता है। मगर रामफल, हनुमान और लक्ष्मण फल को दक्षिण भारत से लाकर वाटिका में लगाया गया।

चारों कोनों में इन्हें लगाने के बाद बोर्ड के जरिये जानकारी भी दी गई है। खास बात यह है कि प्रजाति अलग होने के बावजूद इनका कुल एक ही है। वन अनुसंधान केंद्र संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि वनस्पतियों का धार्मिक महत्व साबित करने पर लोग भावनात्मक तरीके से भी जुड़ते हैं। इसलिए वन अनुसंधान वैज्ञानिक, औषधीय के बाद अब धार्मिक मान्यताओं वाली प्रजातियों को भी लगातार संरक्षित करने के प्रयास में जुटा है।

गठिया, कैंसर से लेकर टीबी में लाभदायक

वन अनुसंधान के मुताबिक स्वादिष्ट, पौष्टिक होने के साथ चारों फलों में औषधीय गुण भी हैं। सीताफल पाचन क्रिया को मजबूत करता है। इसकी पत्तियों का बना तेल सिर पर भी लगाया जाता है। रामफल का इस्तेमाल जैली ओर पेय पदार्थ बनाने में होता है। वहीं, लक्ष्मण व हनुमान फल कैंसर, टीबी के अलावा गठिया रोग में भी असरदार माना जाता है। बच्चे के जन्म के बाद दूध बढ़ाने, मधुमेह व नींद नहीं आने की बीमारी को दूर करने में भी इस्तेमाल किया जाता है। वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि हम प्रयास करेंगे कि लोगों खासकर युवा पीढ़ी को वनस्पतियों के धार्मिक महत्व से रूबरू करवाए। कोशिश है कि किसी भी तरह लोग प्रकृति से खुद का जुड़ाव स्थापित संरक्षण में योगदान सुनिश्चित करें। इस कड़ी में रामायण वाटिका में चारों फलों के पेड़ लगाए गए हैं।

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