रेलवे ट्रैक और एचटी लाइन गजराज के लिए बने जानलेवा, कुमाऊं में 14 तो गढ़वाल में 17 की मौत
उत्तराखंड में जंगल से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक और हाईटेंशन लाइन गजराज के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। ऊधमसिंहनगर जिले में हाथी और उसके बच्चे की मौत से एक बार फिर रेलवे और वन विभाग की लापरवाही सामने आई है।
नैनीताल, स्कंद शुक्ल : उत्तराखंड में जंगल से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक और हाईटेंशन लाइन गजराज के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। ऊधमसिंहनगर जिले में हाथी और उसके बच्चे की मौत से एक बार फिर रेलवे और वन विभाग की लापरवाही सामने आई है। कुमाऊं मंडल में तराई के जंगल में बीते पांच सालों में छह हाथियों की ट्रेन से कटकर मौत हुई है, जबकि बीते 15 सालों में छह हाथियों की मौत हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से हुई है। वहीं दो हाथियों की मौत आपसी संघर्ष में हुई है। गढ़वाल मंडल में बीते 20 वर्ष में 17 हाथियों की ट्रेन से कटकर मौत हो चुकी है।
उत्तराखंड में 11 कॉरीडाेर में विचरते हैं गजराज
उत्तराखंड में हाथियों के 11 कॉरीडाेर चिह्नित हैं। जिनमें हाथी स्वछंद विचरण करते हैं। कांसरो-बड़कोट, मोतीचूर-गोहरी, रवासन-सोनानदी, चिल्किया-कोटा, फतेहपुर-गदगडिया, मोतीचूर-बड़कोट-ऋषिकेश, चीला मोतीचूर, मलानी-कोटा, दक्षिण पटलीदून-चिल्किया और किलपुरा-खटीमा-सुराई गलियारों में आमतौर पर हाथी विचरण करते हैं। हालांकि, रिहायशी इलाकों के विस्तार और मानवीय दखल के कारण इन गलियारों में भी हाथी-मानव संघर्ष की घटनाएं बढ़ गई हैं। जिन्हें रोकने के लिए वन विभाग की ओर से कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं।
उत्तराखंड में हाथियों का वास स्थल
उत्तराखंड में हाथियों का वास स्थल 5405.07 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। जो कि दो राष्ट्रीय उद्यान, एक अभ्यारण और 13 वन प्रभागों के साथ ही 14 प्रशासनिक वन प्रभागों के तहत आता है। यहां हाथियों के लिए शिवालिक पहाडिय़ों की तलहटी और वाह्य हिमालयी क्षेत्र अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराते हैं। आय के लिहाज से भी हाथी बेहद महत्वपूर्ण हैं। राजाजी और कार्बेट में पर्यटक हाथियों के दीदार को खिंचे आते हैं।
तराई में हुई हाथियों की मौत
वर्ष मौत
2005 करंट से खटीमा में दो हाथी की मौत
2014 आपसी संघर्ष में एक हाथी की मौत
2014 टांडा रेंज में करंट से एक हाथी की मौत
2014 कॉर्बेट पार्क में करंट से एक हाथी की मौत
2017 नगला बाइपास ट्रेन हादसे में हाथी की मौत
2017 सैनिक फॉर्म में करंट से हाथी की मौत
2017 पंतनगर में करंट से हाथी की मौत
2017 पंतनगर ट्रेन हादसे में दो हाथी की मौत
2018 खटीमा में आपसी संघर्ष में हाथी की मौत
2018 लालकुआं में ट्रेन हादसे में हाथी की मौत
2021 गूलरभोज में ट्रेन हादसे में दो हाथी की मौत
राज्य में बढ़ी है गजराज की संख्या
राज्य में हाथियों की संख्या अब 2026 हो गई है, जो 2017 में 1839 थी। तीन साल के अंतराल में इनकी संख्या में 10.17 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। बीते जून में राज्य में हाथी गणना की गई। जिसके मुताबिक कार्बेट टाइगर रिजर्व में सर्वाधिक 1224 हाथी हैं, जबकि राजाजी टाइगर रिजर्व में इनकी संख्या 311 है। शेष अन्य वन प्रभागों में हैं। वर्ष 2017 की गणना में राज्य में 1839, वर्ष 2015 में 1797 और वर्ष 2012 में 1559 हाथी थे।