मासूमों को उनका हक दिलवाने व भटके को सही राह पर ला रहीं पुष्पा कांडपाल

महिला व बाल विकास मंत्रालय की ओर से स्थापित चाइल्ड लाइन में केंद्र समन्वयक की भूमिका निभा रही पुष्पा कांडपाल बाल अधिकार दिलाने के लिए कार्य कर रही हैं। कोरोना काल में भी वह नियमित रूप से विभिन्न मामलों में काउंसलिंग व अन्य कार्य संपादित कर रही हैं।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 04:45 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 04:45 PM (IST)
मासूमों को उनका हक दिलवाने व भटके को सही राह पर ला रहीं पुष्पा कांडपाल
कोरोना काल में भी वह नियमित रूप से विभिन्न मामलों में काउंसलिंग व अन्य कार्य संपादित कर रही हैं।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : बच्चों का बचपन उनके जीवन भर की नींव होती है। ऐसे में बच्चों को बचपन में बेहतर माहौल देने की जरूरत है। महिला व बाल विकास मंत्रालय की ओर से स्थापित चाइल्ड लाइन में केंद्र समन्वयक की भूमिका निभा रही पुष्पा कांडपाल बाल अधिकार दिलाने के लिए कार्य कर रही हैं। कोरोना काल में भी वह नियमित रूप से विभिन्न मामलों में काउंसलिंग व अन्य कार्य संपादित कर रही हैं।  

बाल अधिकारों के लिए कार्यरत पुष्पा कांडपाल ने बताया कि समाज में मानवाधिकारों की तर्ज पर बाल अधिकारों के लिए भी कार्य किया जा रहा है। समाज में बच्चों के अधिकारों के प्रति समझ नहीं होने के कारण बचपन के साथ ही अन्य आयाम प्रभावित हो रहे हैं। बहुत से बच्चों को उचित संरक्षण व सुरक्षा नहीं मिल पाने के कारण उनका जीवन खतरे में रहता है। बड़े होने पर भी ऐसी पृष्ठभूमि के बच्चों की मनस्थिति ठीक नहीं रहती है।

इन्हीं समस्याओं के चलते बाल अधिकारों को समझना सभी का दायित्व है। जिसमें जीवन जीने का अधिकार, अभिव्यक्ति का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और विकास के अधिकार के लिए कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बच्चों के अधिकारों के प्रति संवेदनशीलता नहीं होने से कई विकृतियां जन्म ले रही हैं। जिसमें बाल भिक्षावृत्ति, बाल श्रम, बाल विवाह, बाल उत्पीडऩ, यौन शोषण, नशाखोरी, लिंग भेद, बाल तस्करी आदि प्रमुख मामले हैं। जिन पर नियमित रूप से कार्य किया जा रहा है। बच्चों से संबंधित ज्यादा समस्याएं विभिन्न क्षेत्रों की मलिन बस्तियों में निवास करने वाले निर्धन परिवारों में देखने को मिल रहा है।

कम उम्र में शादी के मामले

हल्द्वानी व काठगोदाम क्षेत्र में कम उम्र में शादी के बहुत से मामले देखने को मिल रहे हैं। जिसमें 15 से 17 साल की बेटियों का विवाह कर दिया जा रहा है। ऐसे मामले संज्ञान में आने के बाद परिवार की काउंसलिंग की जाती है और शादी से पहले ही परिवार वालों को समझाया जाता है।  जिसमें ज्यादातर लोग बात समझते भी हैं।

बाल भिक्षावृत्ति एक अभिशाप

हल्द्वानी व काठगोदाम की विभिन्न मलिन बस्तियों और झोपड़पट्टी में रहने वाली बच्चों को भिक्षावृत्ति के कार्य में लगाया गया है। ऐसे बच्चों को लगातार चिन्हित किया जा रहा है। रोडवेज परिसर व रेलवे स्टेशन के आसपास दिख रहे ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। उनके परिवार की काउंसलिंग की जा रही है।

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