उत्‍तराखंड कांग्रेस की नई टीम में हरीश रावत के साथ प्रीतम का भी दबदबा, जानिए पूरा सियासी समीकरण

दिल्ली की लंबी दौड़ के बाद पंजाब फार्मूला अब उत्तराखंड कांग्रेस में भी लागू हो गया। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह अब नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाएंगे। पीसीसी चीफ का जिम्मा हरीश रावत के करीबी पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को मिला है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 07:49 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 07:49 AM (IST)
उत्‍तराखंड कांग्रेस की नई टीम में हरीश रावत के साथ प्रीतम का भी दबदबा, जानिए पूरा सियासी समीकरण
उत्‍तराखंड कांग्रेस की नई टीम में हरीश रावत के साथ प्रीतम का भी दबदबा, जानिए पूरा सियासी समीकरण

गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी : दिल्ली की लंबी दौड़ के बाद पंजाब फार्मूला अब उत्तराखंड कांग्रेस में भी लागू हो गया। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह अब नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाएंगे। पीसीसी चीफ का जिम्मा हरीश रावत के करीबी पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को मिला है। लेकिन ऐसा नहीं है कि नई टीम में प्रीतम की नहीं चली। रणजीत रावत और भुवन कापड़ी की कार्यकारी अध्यक्ष पर नियुक्ति से साफ पता चलता है कि उनका भी दबदबा है। खासकर पूर्व विधायक व वर्तमान में कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष रणजीत को मिली जिम्मेदारी बताती है कि चुनाव से ठीक पहले हाईकमान प्रीतम की नाराजगी नहीं चाहता। खास बात यह है कि पहाड़-मैदान, कुमाऊं-गढ़वाल से लेकर जातिगत समीकरण का भी पूरा ख्याल रखा गया है।

गुरुवार देर रात कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष समेत चार कार्यकारिणी अध्यक्षों की घोषणा कर दी। मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने की पैरवी करने वाले हरदा को चुनाव प्रचार कमेटी का अध्यक्ष बना बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। गढ़वाल को नेता प्रतिपक्ष के साथ प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई तो कार्यकारी अध्यक्ष व चुनाव संचालन समिति में कुमाऊं का संतुलन बैठा लिया गया। जल्द देहरादून में कांग्रेस के नए घोषित क्षत्रपों की बैठक होगी। उसके बाद प्रचंड बहुमत वाली भाजपा के खिलाफ चुनावी बिगुल फूंका जाएगा।

इंदिरा के करीबी को इंदिरा की जिम्मेदारी

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता व पूर्व नेता प्रतिपक्ष स्व. डा. इंदिरा हृदयेश और प्रीतम सिंह की तुकबंदी जग जाहिर थी। भाजपा से लड़ाई और पार्टी के भीतर दूसरे गुट से होने वाले विवाद में दोनों हमेशा एक-दूसरे की ढाल नजर आते थे। साढ़े चार साल बाद नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी अब प्रीतम को मिलेगी। इंदिरा के निधन के बाद से यह चर्चा शुरू हो गई थी।

किसान, पंजाबी व एससी वोटों का समीकरण

ऊधमसिंह नगर व हरिद्वार में किसान आंदोलन का खासा प्रभाव रहा है। तराई में पंजाबी वोटों की बड़ी संख्या है। ऐसे में अनुभवी तिलकराज बेहड़ यहां कांग्रेस की नैया पार करवा सकते हैं। चुनाव प्रचार कमेटी में शामिल राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा के बाद प्रोफेसर जीतराम के तौर पर एससी मतदाताओं को रिझाने के लिए एक और चेहरा मिल गया है। वहीं, सल्ट के पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत की अपनी ही एक छवि है।

सीएम के प्रतिद्वंद्वी का सम्मान

भुवन कापड़ी कांग्रेस का एक बड़ा युवा चेहरा है। खास बात यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पूर्व में विधानसभा चुनाव के दौरान वह कड़ी चुनौती दे चुके हैं। प्रीतम सिंह के करीबी भुवन कापड़ी को कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बना पार्टी ने सीएम के प्रतिद्वंदी को सम्मान दिया है।

प्रोफाइल

तिलकराज बेहड़ : हल्द्वानी-नैनीताल व रुद्रपुर-किच्छा सीट से चार बार विधायक रहने के साथ तिवारी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री का अनुभव। 2009 से 12 तक विधानसभा में विपक्ष के उपनेता भी।

भुवन कापड़ी : यूथ कांग्रेस के चुने प्रदेश अध्यक्ष रहे भुवन कापड़ी ने पिछले चुनाव में खटीमा विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर वर्तमान सीएम पुष्कर धामी को टक्कर दी थी। कापड़ी मंडी सभापित भी रहे हैं। युवाओं में अच्छी पकड़ है।

रणजीत रावत : सल्ट से दो बार विधायक रहे रणजीत रावत पिछला चुनाव रामनगर से हार चुके हैं। हरदा सरकार में उनकी तूती बोलती थी। औद्योगिक सलाहकार का जिम्मा था। घूमा-फिराकर बोलने की बजाय सामने कोई भी सीधा हमला बोलते हैं।

प्रोफेसर जीतराम : साल 2012 से 2017 के बीच कांग्रेस के टिकट पर थराली विधानसभा के विधायक रहे प्रोफेसर जीतराम विवादों की बजाय शांत स्वभाव के माने जाते हैं। वह कुमाऊं यूनिवर्सिटी के डीएसबी कैंपस वानिकी विभाग में प्रोफेसर है।

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