प्रधानों को फिर से प्रवासियों का जिम्मा उठाना होगा, ग्राम पंचायत में क्वारंटाइन सेंटर बनाने की तैयारी
ग्राम प्रधानों के ऊपर एक बार फिर से प्रवासियों की जिम्मेदारी आने वाली है। सरकार के आदेश पर इन्हें बाहर से ग्रामीण क्षेत्र में आने वाले लोगों को सार्वजनिक भवन में क्वारंटाइन करना होगा। हालांकि पिछले साल लॉकडाउन के मुकाबले इस जिम्मेदारी की अवधि कम होगी।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : गांव की सरकार के मुखिया यानी ग्राम प्रधानों के ऊपर एक बार फिर से प्रवासियों की जिम्मेदारी आने वाली है। सरकार के आदेश पर इन्हें बाहर से ग्रामीण क्षेत्र में आने वाले लोगों को सार्वजनिक भवन में क्वारंटाइन करना होगा। हालांकि, पिछले साल लॉकडाउन के मुकाबले इस जिम्मेदारी की अवधि कम होगी। पहले लोगों को 14 दिन स्कूल पंचायत भवन में रखा गया था। मगर अब सात दिन रखना होगा।
मार्च 2020 में कोरोना ने दस्तक दी थी। उस दौरान लॉकडाउन लगा तो सरकार ने नियमों में सख्ती बढ़ानी शुरू कर दी। तय हुआ कि दिल्ली, हरियाणा व अन्य बाहरी राज्यों से आने वाले प्रवासियों के घर में अगर अलग से जगह नहीं है तो इन्हें गांव के सरकारी स्कूल, पंचायत घर या अन्य सार्वजनिक जगहों पर क्वारंटाइन किया जाएगा। गांव के इन अस्थायी क्वारंटाइन सेंटरों में व्यवस्था बनाने का जिम्मा ग्राम प्रधानों को दिया गया। शुरूआत में कुछ विरोध के बाद प्रधान राजी हो गए थे। जिसके बाद उन्होंने क्वारंटाइन नियमों का पालन करवाने में अहम भूमिका निभाई। वहीं, विकासखंड हल्द्वानी की बीडीओ डा. निर्मला जोशी ने बताया कि लिखित आदेश अभी नहीं पहुंचा। लेकिन प्रधानों से बात कर तैयारी करना शुरू कर दिया है।
बजट को लेकर बिगड़ी बात
पिछले साल जैसे-तैसे ग्राम प्रधान क्वारंटाइन सेंटरों के सर्वेसर्वा बनने को तैयार हो गए थे। लेकिन प्रशासन द्वारा ज्यादा आर्थिक मदद नहीं करने पर उनमें आक्रोश भी था। उनका कहना था कि प्रशासन द्वारा मदद के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई।
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें