कुमाऊं में व्यापाक पैमाने पर होगी आलू की खेती, मुनस्यारी के बीज की होगी सप्लाई

कोरोना काल में सब्जियों के बेतहाशा बढ़े दाम के बाद अब कुमाऊं के पर्वतीय इलाकों में आलू की पैदावार बढ़ाने की कोशिश है। मुनस्यारी का प्रसिद्ध कुफरी आलू बीज इस बार पहाड़ के किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 07:06 AM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 07:06 AM (IST)
कुमाऊं में व्यापाक पैमाने पर होगी आलू की खेती, मुनस्यारी के बीज की होगी सप्लाई
कुमाऊं में व्यापाक पैमाने पर होगी आलू की खेती, मुनस्यारी के बीज की होगी सप्लाई

नैनीताल, जेएनएन : कोरोना काल में सब्जियों के बेतहाशा बढ़े दाम के बाद अब कुमाऊं के पर्वतीय इलाकों में आलू की पैदावार बढ़ाने की कोशिश है। मुनस्यारी का प्रसिद्ध कुफरी आलू बीज इस बार पहाड़ के किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। जिलों से बीज की डिमांड भी आने लगी है ।

कुमाऊं में नैनीताल के ओखलकांडा, धारी, भीमताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ व चंपावत में आलू उत्पादन बहुतायत में होता रहा है, मगर पिछले एक दशक से जंगली सुअरों के आतंक की वजह से किसानों ने आलू की खेती कम कर दी। वहीं कोरोना काल में प्रवासी घरों को लौटे तो बड़े पैमाने पर बंजर भूमि आबाद हो गई और सब्जी उत्पादन किसानों के लिए विकल्प बना है।

बाजार में भी पहाड़ के उत्पादों की डिमांड में उछाल आया है। जिससे खेती छोड़ चुके किसान फिर से खेतीबाड़ी की ओर लौट रहे हैं । इसी अवसर का लाभ उठाने के लिए उद्यान विभाग ने आलू उत्पादन बढ़ाने की कार्ययोजना बनाई है।

ढाई हजार कुंतल बीज की मिली डिमांड

कुमाऊं के जिलों से अब तक ढाई हजार कुंतल आलू बीज की डिमांड संयुक्त निदेशक कार्यालय को मिली है। संयुक्त निदेशक कुमाऊं एचसी तिवारी के अनुसार जनवरी से मुनस्यारी आलू बीज का वितरण किया जाएगा। मुनस्यारी का आलू सबसे अधिक पौष्टिक होता है। साथ ही पहाड़ की जलवायु के लिए उपयुक्त भी है। विभाग की मोबाइल टीमों के माध्यम से किसानों तक आलू बीज पहुंचाया जाएगा।

अबकी मिलेगा महंगा बीज

आलू बीज के लिए मुनस्यारी की बनी सोसाइटी ने इस बार 31.50 रुपए प्रतिकिलो की दर से बीज मुहैया कराने से इन्कार कर दिया है। संयुक्त निदेशक ने बताया कि अब बीज अब मुनस्यारी से 36 रुपए प्रति किलो के हिसाब से उठाया जाएगा। जिसके बाद किसानों में बांटा जाएगा।

पहाड़ में उगने वाली प्रजातियां

पहाड़ में शिमला चपटा, काशीपुर, बम्बू व मुनस्यारी आलू की पैदावार होती है। शिमला व मुनस्यारी आलू को सर्वाधिक पौष्टिक होना का दर्जा हासिल है।

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