बीकाॅॅम की छात्रा विशालाक्षी ने लिखी किताब, जिंदगी के अनुभवों को कविता रूप में पिरोया

जिदंगी एक सफर है। सफर का हर कदम कुछ न कुछ अनुभव और हर दिन कुछ नया सीखा जाता है। हल्द्वानी की डहरिया निवासी विशालाक्षी पांडे ने अपने जिंदगी के अनुभवों को किताब में उभारा है। बीकाम की पढ़ाई कर रही विशालाक्षी को कविता लिखने का शौक है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 08:14 AM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 09:07 AM (IST)
बीकाॅॅम की छात्रा विशालाक्षी ने लिखी किताब, जिंदगी के अनुभवों को कविता रूप में पिरोया
बीकाम की छात्रा ने लिखी किताब, जिंदगी के अनुभवों को कविता रूप में पिरोया

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : जिदंगी एक सफर है। सफर का हर कदम कुछ न कुछ अनुभव और हर दिन कुछ नया सीखा जाता है। हल्द्वानी की डहरिया निवासी विशालाक्षी पांडे ने अपने जिंदगी के अनुभवों को किताब में उभारा है। बीकाम की पढ़ाई कर रही विशालाक्षी को कविता लिखने का शौक है। नौवीं कक्षा से कविता लिखना शुरू किया। जिंदगी के अनुभव, समाज में घटित क्रियाकलापों से जो अनुभव हुआ उसे डायरी के पन्नों में लिखती रही। अब उसे किताब का रूप दिया है। विशालाक्षी ने जीवन की अच्छी-बुरी घटनाओं को अपने शब्दों में कविता के रूप में पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास किया है। विशालाक्षी की मां निर्मला पांडे अखिल भारतीय भ्रष्टाचार निर्मूलन संघर्ष समिति और शक्ति फाउंडेशन आफ इंडिया की हल्द्वानी इकाई से जुड़कर सामाजिक कार्यों में जुड़ी रहती हैं।

31 कविताओं को किया संकलित

विशालाक्षी ने अपनी किताब को सफर शीर्षक दिया है। कक्षा नौवीं से 12 तक लिखी 31 किताबों को किताब में संकलित किया है। अपना पब्लिकेशन से प्रकाशित है। पब्लिकेशन की वेबसाइट पर किताब आनलाइन उपलब्ध है। मौत की इंतजार शीर्षक कविता में विशालाक्षी लिखती हैं, बड़े ही प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था/ थी मैं नींद में और इतना सजाया जा रहा था/ न जाने था वो कौन सा अजय खेल मेरे घर में/ बच्चों की तरह मुझे कंधे पर उठाया जा रहा था..।

सकारात्मकता का उम्मीद भरती है कविता

विशालाक्षी की कविता उम्मीद भरती है। तारा शीर्षक की कविता में वह लिखती हैं होती रही नाकाम रह कोशिश उसे पाने की/ पर फितरत अपनी भी नहीं दिल दे कर भूले जाने की/ किसी फरिश्ते ने तब क्या खूब फरमाया/ टूटते तारे से उसे मांगने की तरकीब सुझाई..।

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