पुल के लिए एनडब्लूयूबी से लेनी होगी अनुमति

कुमाऊं-गढ़वाल के मार्ग पर धनगढ़ी व पनोद नाले पर पुल निर्माण के लिए (एनडब्लूयूबी) की अनुमति लेनी आवश्यक होगी। तभी पुल का निर्माण प्रारंभ हो पाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 09:31 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 09:31 PM (IST)
पुल के लिए एनडब्लूयूबी से लेनी होगी अनुमति
पुल के लिए एनडब्लूयूबी से लेनी होगी अनुमति

रामनगर: कुमाऊं-गढ़वाल के मार्ग पर धनगढ़ी व पनोद नाले पर पुल निर्माण के लिए (एनडब्लूयूबी) राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड के नियम आड़े आ रहे है। 14 करोड़ रुपये की लागत से बनने जा रहे पुल के निर्माण के लिए राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड दिल्ली से हरी झडी लेनी होगी। अनुमति मिलने के बाद ही काम शुरू हो पाएगा।

राज्य सभा सदस्य अनिल बलूनी के प्रयास से रामनगर व पहाड़ के लिए महत्वपूर्ण धनगढ़ी व पनोद नाले पर 240 मीटर लंबा पुल प्रस्तावित है। इसका शिलान्यास 8 नवम्बर को हो चुका है। नियमानुसार टाइगर रिजर्व में होने वाले निर्माण कार्यो के लिए राज्य वन्य जीव बोर्ड की अनुमति अनिवार्य है। अनुमति देने से पहले बोर्ड निर्माण कार्य से वन्य जीवों को होने वाले खतरे की आशका का अध्ययन करता है। इसलिए नेशनल हाइवे के अधिकारियों ने राज्य वन्य जीव बोर्ड की अनुमति के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे। सीटीआर के अधिकारियों के जरिए यह प्रस्ताव शासन को भेजा गया। विधायक दीवान सिंह बिष्ट के मुताबिक इस प्रस्ताव को देहरादून में हुई राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में रखा गया था। अब उत्तराखंड शासन की ओर से इस प्रस्ताव को (एनटीसीए)राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण दिल्ली को भेजा जाएगा। एनटीसीए की संस्तुति के बाद प्रस्ताव राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड दिल्ली को भेजा जाएगा। इसके बाद वन्य जीव बोर्ड इस पर निर्णय लेगा।

वर्जन-

--पुल निर्माण के लिए वन्य जीव बोर्ड की अनुमति जरूरी है। इसके लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द अनुमति भी मिल जाएगी। पुल निर्माण को अनुमति की वजह से नहीं रोका गया है। ठेकेदार को मौके पर अपना पूरा सेटअप लगाने के लिए समय लग रहा है। इस वजह से काम शुरू नहीं हुआ है। दिसंबर या जनवरी में काम शुरू हो जाएगा। (सुनील कुमार, अधीक्षण अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग)

--टाइगर रिजर्व की सीमा के किनारे यह पुल बनाया जा रहा है। ऐसे में निर्माण कार्य के लिए पहले से तय नियमों के तहत वन्य जीव बोर्ड की अनुमति जरूरी होती है। वन्य जीव बोर्ड से अनुमति मिलने के बाद ही कोई भी निर्माण कार्य शुरू हो पाता है। (आरके तिवारी, पार्क वार्डन कार्बेट पार्क)

केस--1

कार्बेट टाइगर रिजर्व द्वारा पूर्व में कालागढ़ वन्य जीव संस्थान की मरम्मत की जानी थी। नियमानुसार विभाग ने भी अपने संस्थान की मरम्मत के लिए पहले एनटीसीए बाद में राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड से अनुमति लेकर काम शुरू कराया।

केस--2

कार्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो में टाइगर सफारी प्रस्तावित है। चूंकि टाइगर सफारी में निर्माण कार्य भी होंगे। जो कि गैर वानिकी कार्य के अंतर्गत आता है। इस कार्य को करने के लिए विभाग द्वारा खुद भी पूर्व में एनटीसीए से अनुमति मागी गई थी।

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