सर्द बढ़ने के बाद उच्च हिमालयी क्षेत्र से भेड़-बकरियों के साथ लौटने लगे लोग

उच्च हिमालयी क्षेत्र में सर्दी दस्तक दे चुकी है। विगत छह माह से गुलजार उच्च हिमालयी क्षेत्र में अब धीरे-धीरे सुनसानी छाने के दिन आने लगे हैं। सदियों से चली आ रही परंपरा के तहत सबसे पहले भेड़ बकरी पालक अपने भेड़-बकरियों के साथ घाटी की तरफ उतरने लगे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 11:49 AM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 11:49 AM (IST)
सर्द बढ़ने के बाद उच्च हिमालयी क्षेत्र से भेड़-बकरियों के साथ लौटने लगे लोग
सर्द बढ़ने के बाद उच्च हिमालयी क्षेत्र से भेड़-बकरियों के साथ लौटने लगे लोग

संवाद सूत्र, पिथौरागढ़ : पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र में सर्दी दस्तक दे चुकी है। विगत छह माह से गुलजार उच्च हिमालयी क्षेत्र में अब धीरे-धीरे सुनसानी छाने के दिन आने लगे हैं। सदियों से चली आ रही परंपरा के तहत सबसे पहले भेड़, बकरी पालक अपने भेड़-बकरियों के साथ घाटी की तरफ उतरने लगे हैं। भेड़ पालकों के अपने जानवरों के साथ निचले इलाकों की तरफ आने को शीतकाल का संकेत माना जाता है।

उच्च हिमालय के सबसे अधिक जानकार भेड़ पालक होते हैं। उच्च हिमालय में सबसे अधिक ऊंचाई तक भेड़-बकरियों के साथ ये ही पहुंचते हैं। उच्च हिमालयी सारे दर्रो की जानकारी इनके पास होता है। हिमाचल प्रदेश से लेकर चमोली, उत्तरकाशी के भेड़ पालक पिथौरागढ़ जिले के बुग्यालों तक पहुंच जाते हैं तो पिथौरागढ़ के भेड़ पालक इन स्थानों तक दर्रे पार कर पहुंचते हैं। उम्र भर उच्च हिमालय और तराई-भावर में भेड़, बकरियों के साथ जीवन गुजारने वाले इन चरवाहों को उच्च हिमालयी मौसम का आभास हो जाता है। इस जानकारी के चलते ये माइग्रेशन करते हैं।

इस वर्ष उच्च हिमालयी मल्ला जोहार से भेड़, बकरी पालक अपने जानवरों के साथ उच्च मध्य हिमालय की सीमा को पार कर मध्य हिमालय में प्रवेश कर चुके हैं। जहां अभी कुछ दिनों तक भेड़-बकरियों को चराने के बाद तराई भावर की तरफ प्रस्थान करेंगे। मार्च माह के अंत से तराई से फिर हिमालय की तरफ आने लगेंगे। मल्ला जोहार में बुग्यालों की मुलायम घास और तमाम तरह की वनस्पति खाने के बाद भेड़, बकरियों के झुंड अब मध्य हिमालय में प्रवेश करते जा रहे हैं। इन लोगों के लौटने को स्थानीय लोग शीत प्रारंभ होने का संकेत मानते हैं।

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